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हाथरस डीएम अर्चना वर्मा बच्चों के सवालों के जवाब देते हुए
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
हाथरस जिलाधिकारी अर्चना वर्मा ने छात्र-छात्राओं से कहा कि सकारात्मक ऊर्जा के साथ कॅरियर ध्यान केंद्रित कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करें। दबाव को खुद पर हावी न होने दें। परिजनों के द्वारा कही गई बातों पर भरोसा रखें। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वह अपने अभिभावकों को अपना दोस्त बनाएं।
शनिवार को संत फ्रांसिस इंटर कॉलेज की सीनियर विंग में अमर उजाला की ओर से आयोजित ‘विद्यार्थियों की बात-जिलाधिकारी के साथ’ कार्यक्रम में जिलाधिकारी अर्चना वर्मा विद्याथियों के सवालों का जवाब दे रही थीं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि अपनी हर बात को अपने परिवार वालों के साथ साझा करें। उन्होंने अपने खुद के जीवन के कई अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मैं आज भी दिन में एक बार अपने पिता से बात जरूर करती हूं। उन्हें पूरे दिन में किए गए कामों को बताती हूं। उन्होंने कहा कि लड़कियों पर उनकी सुरक्षा को लेकर उनके परिजनों पर ज्यादा दबाव रहता है। लड़कियों को प्रेरित कर शिक्षा के प्रति उनकी अभिरूचि को बढ़ाना चाहिए। करीब दो घंटे तक जिलाधिकारी ने मौजूदगी दर्ज कराते हुए विद्यार्थियों के सवालों के जवाब दिए।
विद्यार्थियों के सवाल, डीएम के जबाव
संत फ्रांसिस इंटर कॉलेज की छात्रा शिखा वर्मा ने पूछा कि कई तरह की समस्या लेकर लोग आते हैं, आप उनका निदान कैसे करती हैं?
जवाब : सभी समस्याओं का निदान करने के लिए जनता दर्शन लगाया जाता है। प्रत्येक कार्यालय में सभी अधिकारी सुबह दो घंटे जनता की समस्या सुनने के लिए बैठते हैं। डीएम जनता दर्शन में कोई भी समस्या लेकर आता है, तो संबंधित विभागीय अधिकारी को समस्या का निदान करने के लिए निर्देशित किया जाता है।
संत फ्रांसिस इंटर कॉलेज की लुभानी उपाध्याय ने पूछा कि स्कूल व कॉलेजों में स्वास्थ्य-रक्षा शिक्षा को बढ़ावा क्यों नहीं दिया जाता है?
जवाब : इसके बारे में विभिन्न माध्यमों से लड़की व लड़कों को बताया जा रहा है। इस शिक्षा के लिए समाज की भी जिम्मेदारी है। हालांकि शिक्षा में बदलाव आ रहा है। यह शिक्षा बच्चों को विभिन्न माध्यमों के जरिए दी जा रही है।
लार्ड कृष्णा पब्लिक स्कूल की तृप्ति उपाध्याय ने पूछा कि भारत में बाल श्रम से संबंंधित कानून तो है, लेकिन इस पर अमल क्यों नहीं होता?
जवाब : अन्य देशों की तुलना में यहां के रहन सहन में काफी अंतर है। वहीं, घरेलू श्रम को चाइल्ड लेबर एक्ट में नहीं माना जाता है। हालांकि इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि यहां कानून के पालन में शिथिलता बरती जाती है। इस ओर समाज की भी जिम्मेदारी तय होती है। बाल श्रम उन्मूलन के लिए श्रम विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती है।
एमएलडीवी स्कूल की हर्षिता भारद्वाज ने पूछा कि आईएएस बनने में क्या-क्या समस्या सामने आती हैं?
जवाब : आईएएस की परीक्षा पास करने में तमाम तरह की समस्या सामने आती। इसके लिए धैर्य व प्रेरणा बेहद जरूरी है। एक समय ऐसा लगता है कि सब कुछ खत्म हो गया है, लेकिन उस समय यह सोचें कि दुनिया में अभी बहुत कुछ बाकी है। परीक्षा उर्त्तीण करने के बाद क्षेत्र में भी काम के दौरान तमाम तरह के ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें कानून का पालन करते हुए कुछ कड़े फैसले लेने पड़ते हैं।
एबीजी गुरुकुलम के श्रेयांश ने पूछा कि इंजीनियर, डॉक्टर व आईएएस बनने के बीच भ्रम बना हुआ है। मुझे क्या करना चाहिए?
जवाब : इस उम्र में अभी कॅरियर चुनने में भम्र रहता है। अभी खुद को समय दें। हां, ये सही है कि भारत में आईएएस बनाना आकर्षण है। सभी विषयों की बेसिक तैयारी करना जरूरी है।
ब्राइट कैरियर पब्लिक स्कूल की पारुल कुशवाह ने पूछा कि विद्यार्थी जीवन में अपनी जिम्मेदारियों के प्रति उत्तरदायी कैसे बनें?
जवाब : सोशल मीडिया पर तमाम चीजें चल रही हैं। पहले उनकी हकीकत समझें, उसके बाद उसे फारवर्ड करें। संविधान की प्रस्तावना हर बच्चे ने जरूर पढ़ी होगी, उसको समझें। तमाम तरह के सामाजिक कार्यों, स्कूल में होने वाले जागरूकता कार्यक्रमों में प्रतिभाग करें।
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