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आईआईटी के डायरेक्टर प्रो. लक्ष्मी धर बेहरा
– फोटो : संवाद
विस्तार
हिमाचल में भूस्खलन की अधिक समस्या है। अगर सरकार आईआईटी मंडी के साथ मिलकर काम करे तो भूस्खलन, बाढ़ सहित अन्य आपदाओं को रोकने के लिए ठोस समाधान निकला जा सकता है। आईआईटी के डायरेक्टर प्रो. लक्ष्मी धर बेहरा ने प्रेसवार्ता में कहा कि हमारे पास ड्रोन जैसी बेहतर तकनीक है। ड्रोन की मदद से हम प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश भर में कई कार्य कर रहे हैं। अगर आपदा की घड़ी में प्रदेश सरकार हमसे मदद मांगती तो हम ड्रोन की मदद से लापता हुए लोगों की तलाश करते। वहीं, ड्रोन की मदद से जरूरत का सामान प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाया जा सकता है।
पांच साल बाद अर्ली लर्निंग वार्निंग यंत्र देंगे सटीक जानकारी
मंडी और कांगड़ा में भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील स्थानों पर आईआईटी मंडी की ओर से अर्ली वार्निंग यंत्र लगाए गए हैं। पहाड़ी से अगर कोई पत्थर या मलबा आने की संभावना हो तो ये यंत्र तुरंत सचेत करते हैं। ये यंत्र डाटा पर ही काम करते हैं। इनमें जितना अधिक डाटा होगा, ये उतने ही बेहतर काम करेंगे। अभी यंत्रों को लगे मात्र डेढ़ दो साल ही हुए हैं। पांच साल के बाद ये यंत्र बेहतर काम करेंगे। आईआईटी कमांद के अलावा गुम्मा, कोटरोपी और कांगड़ा में यंत्र लगे हैं।
ग्लेशियर टूटने की घटनाओं पर कर रहे हैं शोध
आईआईटी की ओर से ग्लेशियरों के टूटने पर भी शोध किया जा रहा है। आईआईटी की ओर से चंडीगढ़ के डिफेंस जियो इंफॉर्मेटिव संस्थान के साथ एमओयू साइन किया गया है। हमारे जवान सियाचिन के लिए हवाई मार्ग से जाते हैं। आगे जाने के लिए उनको 60 किलोमीटर तक पैदल पथ चलना पड़ता है। कई बार ग्लेशियर टूट जाते हैं तो वह बह जाते हैं।
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