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दिल्ली चुनाव को लेकर सीएम जयराम ने ली कार्यकर्ताओं की समीक्षा बैठक।
– फोटो : अमर उजाला
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नई दिल्ली में एमसीडी चुनाव प्रचार में गए हिमाचल प्रदेश के भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में घमासान मच गया है। दिल्ली में भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से संबंधित बयानबाजी ही मुखर है। मंगलवार को सीएम जयराम ठाकुर जहां कांग्रेस नेताओं की दिल्ली दौड़ पर तंज कसते नजर आए, वहीं कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा पर हमलावर रहे। इधर, शिमला में माकपा विधायक राकेश सिंघा ने विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका जताकर हिमाचल की राजनीति को दिल्ली तक गरमा दिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नई दिल्ली में कहा कि भाजपा हिमाचल प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। यहां भाजपा की बहुत बड़ी जीत होने वाली है। उन्होंने कहा कि दिल्ली आकर कांग्रेस के नेता मुख्यमंत्री बनने की जुगत में लगे हैं।
अधिकांश सीएम के चेहरे तो यहां जीतकर ही नहीं आएंगे। सीएम जयराम ठाकुर ने मंगलवार को एमसीडी के वार्ड नंबर कौंडली -193 में प्रचार किया। सीएम ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी जब हिमाचल जाते हैं तो एकतरफा स्थिति हो जाती है। कांग्रेस अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है। हिमाचल में भाजपा अपने बूते से ही सरकार बनाएगी। जिस तरह से आकलन लगाए गए हैं, उससे भाजपा की ही सरकार बनेगी। माकपा नेता राकेश सिंघा के विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका के बयान पर सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि वह लोकतंत्र पर भरोसा करते हैं। प्रदेश में चुनाव अभियान की पूरी प्रक्रिया शांति से हुई है। अब राजनीतिक दलों को आठ दिसंबर तक इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाधाओं के बावजूद केंद्र सरकार को केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में कामकाज में सहयोग नहीं किया। दिल्ली की जनता इस संदेश को देना चाह रही है कि केजरीवाल के पांवों तले से जमीन खिसक गई है।
हिमाचल में नोटों की बोरी वाले ही सरकार बनाएंगे : सिंघा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता और ठियोग के पार्टी प्रत्याशी राकेश सिंघा ने कहा कि हिमाचल में नोटों की बोरी वाले ही सरकार बनाएंगे। कांग्रेस नेता अपने विधायकों को बचा पाएंगे तो ही उनकी सरकार बनेगी।
सिंघा ने कहा कि भाजपा नेता कांग्रेस में और कांग्रेस के नेता भाजपा में आते और जाते रहे हैं। इसके बाद दल बदलने वाले नेता अपने दलों में वापस चले गए। विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, जैसा इस बार हुआ है। वैसा पहले विधानसभा चुनाव में कहीं नहीं हुआ। अब प्रदेश में पूरी राजनीति व्यापार बन गई है। माकपा सिर्फ इसलिए चुनाव लड़ रही है ताकि आम जनता की आवाज विधानसभा के भीतर बुलंद हो सके। यह मायने नहीं रखता कि माकपा कितनी सीटें जीतती है। अहम बात यह ही कि माकपा जीतकर विधानसभा में लोगों की आवाज उठाए।
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