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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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उपमुख्यमंत्री और मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्तियों के मामले में याचिकाकर्ताओं ने बहस पूरी कर ली है। अब हाईकोर्ट के समक्ष सरकार 4 नवंबर को पक्ष रखेगी। इसके अलावा अदालत ने उपमुख्यमंत्री के उस आवेदन पर फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसके तहत याचिका से उनका नाम हटाने की गुहार लगाई थी। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बीसी नेगी की अदालत के समक्ष मामले में दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी नहीं हो सकी। अदालत ने सरकार का पक्ष सुनने के लिए सुनवाई 4 नवंबर को निर्धारित की है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उपमुख्यमंत्री और सीपीएस की नियुक्तियां संविधान के अनुरूप नहीं हैं। बता दें कि अदालत पहले ही राज्य सरकार के उस आवेदन को खारिज कर चुकी है जिसके तहत सरकार ने याचिकाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाया था। सीपीएस की नियुक्तियों को तीन याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है। सबसे पहले वर्ष 2016 में पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने सीपीएस को चुनौती दी थी।
नई सरकार की ओर से सीपीएस की नियुक्ति किए जाने पर उन्हें प्रतिवादी बनाए जाने के लिए आवेदन किया गया। इसके बाद मंडी निवासी कल्पना देवी ने भी सीपीएस की नियुक्तियों को लेकर याचिका दायर की है। भाजपा नेता सतपाल सत्ती ने उपमुख्यमंत्री समेत सीपीएस को चुनौती दी है। अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल की नियुक्ति को चुनौती दी है।
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