Himachal: हिमाचल हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी प्रमुख अभियंता और धर्मपुर खंड के अधिशासी अभियंता के वेतन पर लगाई रोक

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Himachal High Court stops  the salary of PWD Chief Engineer and Executive Engineer of Dharampur Division

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालत के आदेशों की अनुपालना नहीं करने पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने लोनिवि के प्रमुख अभियंता और धर्मपुर खंड के अधिशासी अभियंता के वेतन पर रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक फैसले पर अमल नहीं हो जाता तब तक इनका वेतन जारी न किया जाए। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने अनिल कुमार द्वारा दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किए। अदालत ने 12 जून 2023 को आदेश दिए थे कि याचिकाकर्ता के पक्ष में आए फैसले पर छह हफ्ते में अमल किया जाए। अन्यथा दोषी कर्मियों को अदालत में उपस्थित रहने के आदेश दिए गए थे।

सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान विभाग ने एक बार फिर अतिरिक्त समय की मांग की। याचिकाकर्ता लोनिवि धर्मपुर में वर्ष 1998 में दैनिक भोगी के रूप में नियुक्त हुआ था। वर्ष 2007 में उसे नौकरी से निकाल दिया गया। मामले को लेबर कोर्ट धर्मशाला के समक्ष लाया गया। लेबर कोर्ट ने विभाग को आदेश दिए कि वह गलत तरीके से निकाले गए याचिकाकर्ता को 25 हजार रुपए एकमुश्त देने के आदेश दिए। याचिकाकर्ता ने इन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट ने दौलत राम बनाम राज्य सरकार के फैसले के आधार पर याचिकाकर्ता को ऐसा ही लाभ देने के आदेश वर्ष 2018 में दिए थे। इन आदेशों के तहत याचिकाकर्ता को बकाया वेतन के बगैर दोबारा नियुक्ति देने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के इन आदेशों को पारित किए हुए पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद भी याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं दी गई। कोर्ट ने अदालती आदेशों की अवहेलना का मामला पाते हुए दोनों अधिकारियों के वेतन को रोकने के आदेश पारित किए।

सीएचसी में चिकित्सकों की तैनाती करे सरकार: हाईकोर्ट

प्रदेश हाईकोर्ट ने सूबे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में चिकित्सकों की तैनाती सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने इस बारे में राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। मामले की सुनवाई 3 अगस्त को निर्धारित की गई है।याचिकाकर्ता देवेंद्र शर्मा और अन्य ने घनाहटी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नियमित चिकित्सक की तैनाती की गुहार लगाई थी। अदालत ने 26 सितंबर 2020 को सूबे के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की तैनाती के आदेश दिए थे। अदालत ने अपने निर्णय में कहा था कि दूर दराज के स्वास्थ्य केंद्रों में लोगों को चिकित्सा सहायता उपलब्ध करवाने के लिए उचित स्टाफ की जरूरत है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि इस बारे में उचित कदम उठाएं।

इसके अतिरिक्त 9 नवंबर 2020 को अदालत ने सीधी भर्ती या अन्य माध्यम से इन पदों को भरने के आदेश दिए थे। अदालत को बताया गया था कि वर्ष 2016 में सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के तहत प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट और एक सेवादार की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। अदालत को बताया गया था कि प्रदेश के लगभग 98 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 2016 के दिशा-निर्देशों के विपरीत स्टाफ की तैनाती की गई है। अदालत ने पाया था कि इन केंद्रों में स्टाफ की तैनाती अपने चहेतों को समायोजित करने के लिए की गई है जिसका सीधा असर राजकीय कोष पर पड़ रहा है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ की उचित व्यवस्था की जाए।

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