Himachal News: अब 150 साल पुरानी अंग्रेजों की बनाई योजना से बुझेगी शिमला की प्यास

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Shimla News: 150 year old British era water supply scheme will be rejuvenated in shimla

सिरोग परियोजना
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


150 साल पहले ब्रिटिश शासनकाल में शिमला शहर को पानी देने के लिए तैयार की गई सियोग पेयजल परियोजना अब फिर से पुनर्जीवित होगी। शिमला के ऐतिहासिक एडवांस स्टडीज भवन में रहने वाले अंग्रेजी शासकों को शुद्ध पानी पिलाने के लिए तैयार की गई यह परियोजना अब बरसात के दिनों में 35 हजार से ज्यादा लोगों की प्यास बुझाएगी। लगभग ठप हो चुकी सिरोग परियोजना को पुनर्जीवित किया जाएगा। शिमला का पानी देने वाली कंपनी ने इसका प्लान भी तैयार कर लिया गया है।

सरकार ने भी इसे फिर से शुरू करने की मंजूरी दे दी है। खास बात यह है कि अंग्रेजों की तर्ज पर ही इस परियोजना को फिर शुरू किया जाएगा। इस पर दस करोड़ रुपये से भी कम खर्च आएगा। अभी इस परियोजना से शहर को एक एमएलडी से भी कम पानी मिलता है। गर्मियों के दिनों में यह परियोजना सूख जाती है। हालांकि बरसात में यहां कई नए प्राकृतिक चश्मे फूटते हैं।

इसके चलते बरसात में इस योजना से हर रोज शहर को पांच एमएलडी तक पानी मिल सकता है। इससे 35 हजार लोगों की प्यास बुझ सकती है। बरसात में गिरि गुम्मा समेत बाकी परियोजनाओं में गाद के चलते शिमला शहर में पानी का संकट गहरा रहा है। वहीं इस परियोजना में साफ और ज्यादा पानी उपलब्ध है। कंपनी जो प्लान बना रही है, उसके तहत बरसात में इस परियोजना से शिमला के लिए आपूर्ति बढ़ाई जाएगी।

नई लाइन बिछेगी

सियोग में अंग्रेजों का बनाया नौ एमएलडी की क्षमता वाला पेयजल टैंक दशकों से खंडहर बना पड़ा है। इसमें दरारें पड़ चुकी हैं। इसे रिज टैंक की तर्ज पर दुरुस्त किया जाएगा। सियोग से 8 किलोमीटर दूर शिमला के लिए नौ और छह इंच की दो पेयजल लाइनें बिछी हैं। ये भी 150 साल पुरानी हैं। इसमें कई जगह लीकेज है। इन्हें बदला जाएगा। यह शिमला की इकलौती परियोजना है जिसमें पंपिंग की भी जरूरत नहीं। ग्रेविटी से इसका पानी शिमला आता है।

सियोग में 19 चश्मों का पानी

सियोग कैचमेंट में 19 चश्मों का पानी है। हालांकि अभी सिर्फ तीन चश्मों का पानी ही इस्तेमाल हो पा रहा है। कंपनी ने जो योजना बनाई है, उसके अनुसार चेकडैम बनाकर ये चश्मे रिचार्ज किए जाएंगे। इन चश्मों का पानी काफी शुद्ध है। वन्यजीवों के लिए आरक्षित क्षेत्र होने के चलते इस परियोजना के कैचमेंट में वाहनों की आवाजाही भी प्रतिबंधित है। अंग्रेजी शासनकाल में इसका पानी सीधा एडवांस स्टडीज आता था। यहां वायसराय का निवास था। अब इसका पानी संजौली टैंक में पहुंचता है।

दोबारा शुरू करेंगे परियोजना : महापौर

अंग्रेजों की बनाई पेयजल परियोजना शिमला शहर को अब बरसात में भरपूर पानी देगी। कंपनी को इसका प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। मैंने खुद भी मौके पर जाकर देखा है। अंग्रेजों के बनाए टैंक, फिल्टर और पेयजल लाइनें यहां हैं। -सुरेंद्र चौहान, महापौर नगर निगम शिमला

योजना कर रहे तैयार : महाप्रबंधक

सियोग परियोजना के टैंक की मरम्मत की जाएगी। यहां काफी शुद्ध पानी है। बरसात में यहां काफी पानी उपलब्ध है जिसे बिना पंपिंग शिमला तक पहुंचाया जा सकता है। जल्द ही इस प्लान तैयार कर काम शुरू किया जाएगा। – राजेश कश्यप, महाप्रबंधक पेयजल कंपनी

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