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यात्रा के दौरान कुंशा में लगाए गए टेंट।
– फोटो : संवाद
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विश्व की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शुमार ऐतिहासिक श्रीखंड यात्रा पर संकट के बादल मंडरा गए हैं। पार्वती बाग के ऊपर ग्लेशियर टूट गया है। इससे गहरा नाला बन गया है, जिसे पार करना मुश्किल है। वहीं बेस कैंप पार्वती बाग में बर्फीले तूफान की वजह से टेंटों में रुके श्रद्धालुओं को भीम डवारी पहुंचाया गया है। यहां करीब 100 श्रद्धालु रुके थे। एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह ने इसकी पुष्टि की है। वहीं, बीते दिन लापता दो श्रद्धालुओं की भी मौत हो गई है।
अब तक यात्रा में चार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पहले ही दिन फेफड़ों में पानी भरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि दूसरे दिन ग्लेशियर से तीन लोगों के फिसलने के बाद गहरी खाई में गिरने से आई चोटों से उनकी मृत्यु हो गई है। इनमें से सोलन के एक व्यक्ति की बीते रोज ही जानकारी उपलब्ध हो गई थी। लेकिन दो व्यक्तियों को रेस्क्यू टीम ने देर शाम खोज निकाला। यदि मौसम खराब रहा तो यात्रा मुश्किलों से भरी सकती है।
वहीं लगातार बारिश से भी रेस्क्यू टीम को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। दो दिनों में श्रीखंड महादेव यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं को जगह-जगह टेंटों में ठहराया गया है। बेसकैंप सिंघगाड़ में 300, बराहटीनाला में 65, थाचडू में करीब 450, कुनशा में करीब 150 , पार्वतीबाग में करीब 1200, जबकि पार्वतीबाग में करीब सौ यात्रियों के अलावा लोकल लोगों की ओर से लगाए गए टेंटों में करीब 350 यात्री ठहरे हुए हैं। इनमें करीब सौ यात्रियों को भीमडवारी लाया गया है।
किन्नर कैलाश और चूड़धार जाने पर रोक
एसडीएम कल्पा एवं जिला पर्यटन अधिकारी शशांक गुप्ता ने किन्नर कैलाश की यात्रा पर जाने और अन्य ट्रैकिंग स्थलों में भी अगले आदेशों तक ट्रैकिंग करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। उन्होंने पर्यटकों और ट्रैकरों को नदी-नालों और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ट्रैकिंग करने से बचने की सलाह दी है। उधर, अध्यक्ष, चूड़धार प्रबंधन समिति एवं एसडीएम चौपाल अमन कुमार राणा ने कहा कि भारी वर्षा के चलते श्रद्धालु चूड़धार मंदिर की यात्रा पर न जाएं। पैदल व उंचाई के रास्ते पर पर्यटकों के लिए यह सफर जोखिम भरा हो सकता है। उन्होंने इस क्षेत्र के साथ लगते जिला के पुलिस अधिकारियों से भी निवेदन किया गया है कि सिरमौर सोलन की ओर से आने वाले पर्यटकों को चुडधार की ओर न जाने दें।
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