Hindu College: हिंदू कॉलेज शिक्षक की खुदकशी मामले में आया नया मोड़, क्यों लिया जा रहा है RSS का नाम

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Hindu College: twist in the suicide case of Hindu college ad hoc teacher, why the name of RSS being dragged

Hindu College
– फोटो : अमर उजाला (फाइल फोटो)

विस्तार

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक एडहॉक टीचर के आत्महत्या के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े छात्रों-शिक्षकों में गम और गुस्सा नजर आ रहा है। साथी शिक्षक की मौत के बाद गुस्साए टीचर्स आंदोलन पर उतर आए हैं। शिक्षकों का कहना है कि पिछले कुछ महीने से डीयू और यूनिवर्सिटी कॉलेजों में परमानेंट टीचर्स की नियुक्ति चल रही है। इस प्रक्रिया में एडहॉक टीचर्स को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। डीयू में इस तरह की नीति क्या पता अभी कितने शिक्षकों की ओर जान लेगी। ये मौत किसी इंस्टीट्यूशनल मौत से कम नहीं है। इसके लिए जो लोग इसके जिम्मेदार हैं उन पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

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दिल्ली विवि के हिंदू कॉलेज के टीचर समरवीर सिंह की खुदकुशी के मामले में टीचर्स और स्टूडेंट्स नाराज हैं। दरअसल, 33 साल के फिलॉसफी के एडहॉक टीचर समरवीर सिंह की परमानेंट टीचर के आ जाने से फरवरी में नौकरी चली गई थी। उनके दोस्तों का कहना है कि नौकरी जाने के बाद वे काफी तनाव में थे। गुरुवार को स्टूडेंट्स और टीचर्स ने डीयू के नॉर्थ कैंपस में प्रदर्शन किया। विवेकानंद मूर्ति के पास टीचर्स ने शोक सभा रखी। उन्होंने मांग की कि स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया में एडहॉक टीचर्स को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पिछले कुछ महीने से डीयू और यूनिवर्सिटी कॉलेजों में परमानेंट टीचर्स की नियुक्ति चल रही है। जिस वजह से कई साल से काम कर रहे एडहॉक टीचर्स को नौकरी खोनी पड़ी है।

क्या आरएसएस की शाखा में जाना है क्राइटेरिया?

अमर उजाला से चर्चा में प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि सालों से जो इस कॉलेज को अपना श्रम दे रहे थे, उन्हें एक झटके में निकाल दिया गया। हम देखते हैं कि हर जगह चाहे वे रामजस कॉलेज हो या फिर किरोड़ीमल कॉलेज, जगह-जगह पर टीचर्स जिन्होंने अपना श्रम इस यूनिवर्सिटी को दिया, उन्हें बाहर करके सिर्फ़ एक क्राइटेरिया इस यूनिवर्सिटी ने तय कर दिया है और वह क्राइटेरिया है कि आपने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में कितना काम किया है। आप आरएसएस की शाखा में कितनी बार जाते हैं। किस हद तक अपना ज़मीर मार सकते हो, अगर ये क्राइटेरिया टीचर होने का है, तो ये यूनिवर्सिटी, उसका क्राइटेरिया आज पूरी तरह से ध्वस्त होने की स्थिति में है।

करीब 4200 से ज्यादा एडहॉक शिक्षक हैं परेशान

वॉइस ऑफ डीयू एडहॉक टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. संत प्रकाश अमर उजाला से चर्चा में कहते हैं कि हमारे साथी शिक्षक समरवीर अकेले नहीं हैं, जो इस वक्त मानसिक तनाव से गुज़र रहे थे, बहुत से लोग हैं जो ऐसी ही मानसिक स्थिति से गुज़र रहे हैं। हम करीब 4200 से ज्यादा एडहॉक टीचर्स कई वर्षों से हमारे हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। हम सबको दिलासा दे रहे थे कि हम सब मिलकर लड़ाई लड़ेंगे, लेकिन उम्मीद टूटती जा रही थी, ये लोग जहां भी इंटरव्यू में जा रहे थे दो-दो मिनट का इंटरव्यू कर बाहर निकाल दिया जा रहा था, इनके पास कोई राजनीतिक कनेक्शन नहीं थे, जिनके हैं उन्हें लिया जा रहा है। ऐसे टीचर जो अपना काम बहुत ही समर्पित ढंग से करते रहे हैं। उन्हें टारगेट कर निकाला जा रहा है।

डॉ. प्रकाश कहते हैं कि हमारी मांग है कि जो शिक्षक जहां एडहॉक के रूप में पढ़ा रहा है, उसे वहीं पर स्थाई किया जाए। हमने हमेशा यहीं कहा है कि आज एडहॉक और अस्थाई शिक्षकों का जो भारी विस्थापन हो रहा है, वह एक मानवीय संकट है। इस साल के जनवरी-फरवरी में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन को भी समायोजन की मांग करते हुए विस्थापन पर अपनी चिंता दर्ज करवाई थी। बावजूद इसके प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

एडहॉक टीचर्स के समायोजन के लिए तेज करेंगे आंदोलन

डीयू में अकादमिक काउंसिल की मेंबर डॉ. माया जॉन्स कहती हैं, डीयू कॉलेज में जिन पोस्ट का विज्ञापन आ रहा है, एडहॉक टीचर्स उसके एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा करते हैं। इसके बावजूद पांच मिनट के इंटरव्यू से कैंडिडेट तय किया जा रहा है। एएडीटीए के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा, एडहॉक टीचर्स के समायोजन के लिए हम आंदोलन और तेज करेंगे। जबकि इस मामले में डीयू के प्रशासन का कहना है कि स्थायी शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया यूनिवर्सिटी के नियमों के मुताबिक बहाल की जा रही है।

कौन हैं एडहॉक टीचर्स

विश्वविद्यालय में अस्थायी शिक्षकों को एडहॉक कहा जाता है। इन सभी शिक्षकों का स्तर असिस्टेंट प्रोफेसर के बराबर होता है। डीयू की कार्यकारी परिषद द्वारा बनाए गए नियम के अनुसार, कॉलेजों में अतिरिक्त वर्कलोड होने या किसी स्थायी शिक्षक के सेवानिवृत्त होने या उसे लंबे अवकाश पर जाने से खाली हुए पदों पर एडहॉक शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे। डीयू का नियम कहता है कि एडहॉक शिक्षक की नियुक्ति अधिकतम चार महीने यानी 120 दिन के लिए की जाएगी। इनकी संख्या विश्वविद्यालय के कुल शिक्षकों के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी और विश्वविद्यालय प्रशासन इन्हीं 120 दिनों में रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्ति कर देगा। लेकिन डीयू प्रशासन ने इन रिक्त पदों पर सालों से स्थाई नियुक्ति नहीं की। इन पदों पर एडहॉक शिक्षकों से 120 दिन के रिचार्ज कूपन से सालों से पढ़वाया जा रहा है, जो कि अवैधानिक है। इस अवैधानिक प्रक्रिया के चलते आज डीयू में एडहॉक शिक्षकों की संख्या लगभग पांच हज़ार से ज्यादा है जो कि डीयू के कुल शिक्षकों की संख्या के 50 फीसदी से भी अधिक है।

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