हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विप्रो कंपनी के कर्मचारियों की मांगों को लेकर दायर याचिका में कंपनी प्रबंधन से जवाब तलब किया है। विप्रो कर्मचारी संघ ने कंपनी प्रबंधन पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 6 मार्च को निर्धारित की है।
सोलन जिले के बरोटीवाला स्थित विप्रो कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि उन्होंने कंपनी प्रबंधन के समक्ष अपनी मांगें उठाई थीं। प्रबंधन की ओर से मांगें न मानने पर संघ ने समझौता अधिकारी के पास आवेदन किया। समझौता न होने पर मामला श्रम अधिकारी को भेजा गया। श्रम अधिकारी ने मामले को श्रम न्यायालय न भेजने के बजाए दोबारा समझौता अधिकारी को भेज दिया। श्रम अधिकारी के इस निर्णय को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है।
ये हैं विप्रो कर्मचारियों की मांगें संघ ने कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि सभी कामगारों को 7,000 रुपये मूल वेतन भत्ता प्रतिमाह दिया जाए। राज्य सरकार की तर्ज पर उन्हें मासिक महंगाई भत्ता दिया जाए। परिवहन भत्ते में 2,000 रुपये प्रतिमाह तक की बढ़ोतरी की जाए। उत्पादन योजना के तहत सभी कामगारों को उत्पादन का 50 फीसदी हिस्सा इनाम के तौर पर दिया जाए। वार्षिक और आकस्मिक अवकाश में बढ़ोतरी, पाली भत्ता, गृह भटक भत्ता और त्योहार भत्ता देने की मांग की है। इसके अलावा मृत्यु राहत योजना के तहत आश्रितों को 10 लाख दिए जाने की मांग की गई है।
परवाणू से कैथलीघाट तक फोरलेन को दिसंबर 2023 तक पूरी तरह से चालू कर दिया जाएगा। यह जानकारी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने हाईकोर्ट के समक्ष दी है। अदालत को बताया गया कि परवाणू से कैथलीघाट तक सभी अवैध कब्जों को हटा दिया गया है। अब फोरलेन के निर्माण में कोई बाधा नहीं है। डंपिंग साइट निर्धारित करने के लिए अदालत ने वन विभाग, नेशनल हाईवे अथॉरिटी, उपायुक्त सोलन, शिमला और संबंधित विभागों को आदेश दिए कि वह महाधिवक्ता के साथ बैठक करें।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने 11 जनवरी 2023 तक ताजा रिपोर्ट तलब की है। कालका-शिमला फोरलेन के निर्माण में देरी होने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने परवाणू से कैथलीघाट तक सभी अवैध कब्जों को पुलिस की मौजूदगी में हटाने के आदेश दिए थे। पिछले आदेशों के तहत हाईकोर्ट ने उपायुक्त सोलन की कार्यशैली पर टिप्पणी की थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कालका-शिमला फोरलेन ड्रीम प्रोजेक्ट था।
लेकिन, पिछले तीन सालों से कैथलीघाट-ढली के हिस्से का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। पहले भूमि अधिग्रहण के चलते काम लटका रहा। कालका से कैथलीघाट तक निर्माण कार्य अवैध कब्जों के कारण पूरा नहीं हो रहा है। कैथलीघाट से ढली तक 28.4 किमी लंबे फोरलेन के हिस्से का कार्य दो पैकेजों में तय किया गया है। इस पर 3,716.26 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। दूसरे पैकेज के फोरलेन निर्माण के लिए 1956.26 करोड़ बजट की स्वीकृति दी गई है।
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विप्रो कंपनी के कर्मचारियों की मांगों को लेकर दायर याचिका में कंपनी प्रबंधन से जवाब तलब किया है। विप्रो कर्मचारी संघ ने कंपनी प्रबंधन पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 6 मार्च को निर्धारित की है।
सोलन जिले के बरोटीवाला स्थित विप्रो कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि उन्होंने कंपनी प्रबंधन के समक्ष अपनी मांगें उठाई थीं। प्रबंधन की ओर से मांगें न मानने पर संघ ने समझौता अधिकारी के पास आवेदन किया। समझौता न होने पर मामला श्रम अधिकारी को भेजा गया। श्रम अधिकारी ने मामले को श्रम न्यायालय न भेजने के बजाए दोबारा समझौता अधिकारी को भेज दिया। श्रम अधिकारी के इस निर्णय को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है।
ये हैं विप्रो कर्मचारियों की मांगें
संघ ने कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि सभी कामगारों को 7,000 रुपये मूल वेतन भत्ता प्रतिमाह दिया जाए। राज्य सरकार की तर्ज पर उन्हें मासिक महंगाई भत्ता दिया जाए। परिवहन भत्ते में 2,000 रुपये प्रतिमाह तक की बढ़ोतरी की जाए। उत्पादन योजना के तहत सभी कामगारों को उत्पादन का 50 फीसदी हिस्सा इनाम के तौर पर दिया जाए। वार्षिक और आकस्मिक अवकाश में बढ़ोतरी, पाली भत्ता, गृह भटक भत्ता और त्योहार भत्ता देने की मांग की है। इसके अलावा मृत्यु राहत योजना के तहत आश्रितों को 10 लाख दिए जाने की मांग की गई है।