HP High Court: स्कूलों में गैर शिक्षकों के खाली पदों पर निदेशक के जवाब से हाईकोर्ट हैरान

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट।

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– फोटो : अमर उजाला

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स्कूलों में गैर शिक्षकों के खाली पदों पर मुख्य सचिव और प्रधान शिक्षा सचिव की तरफ से शिक्षा निदेशक ने ही जवाब दायर कर दिया। हाईकोर्ट ने इस पर हैरानी जताते हुए शिक्षा निदेशक से स्पष्टीकरण तलब किया है। मामले की सुनवाई 15 मार्च को निर्धारित की गई है। शिक्षा निदेशक ने अपने जवाब में अदालत को बताया कि सरकार की ओर से नियम बनाने के बाद ही इन पदों को भरा जाएगा। अभी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के 768 पद खाली है।

इन पदों के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियम न होने से भर्ती प्रक्रिया नहीं हो पा रही है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि मामले की आगामी सुनवाई तक इन नियमों को तैयार करे। तत्तापानी निवासी प्रताप सिंह ठाकुर की ओर से मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। खंडपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव सहित प्रधान सचिव शिक्षा को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया था।

पत्र के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के दो हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। सरकारी स्कूलों में इन पदों के खाली रहते बच्चे निजी स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं। यह भी कहा गया है कि सरकारी स्कूलों में पुस्तकालय न होने की वजह से बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की अच्छी तरह से तैयारी नहीं कर पाते हैं। पत्र के माध्यम से गुहार लगाई है कि राज्य सरकार को सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के पद भरने के आदेश दिए जाएं।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी की अदायगी करने में देरी करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। समय पर वन विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी की ग्रेच्युटी न देने पर अदालत ने कड़ा संज्ञान लिया है।  न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मुख्य अरण्यपाल को तीन महीने में जांच पूरी करने के आदेश दिए है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ग्रेच्युटी पर दी गई ब्याज की रकम दोषी अधिकारियों से वसूली जाए। अदालत ने अपने आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट 4 मार्च को तलब की है। बता दें कि हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी की अदायगी न करने पर मुख्य अरण्यपाल के वेतन पर रोक लगा दी थी।

शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता की देय ग्रेच्युटी ब्याज सहित अदा कर दी गई है। समय पर यह राशि अदा न करने के कारण विभाग को 53 हजार रुपये ब्याज के तौर पर अदा करने पड़े। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता को बेवजह अदालत को दरवाजा खटखटाना पड़ा। यदि विभाग समय रहते ग्रेच्युटी अदा कर देता तो ब्याज की रकम बचाई जा सकती थी। याचिकाकर्ता तुला राम को  29 सितंबर 2019 को सक्षम न्यायालय ने याचिकाकर्ता को 1,18,977 रुपये की ग्रेच्युटी के लिए हकदार ठहराया।

इस निर्णय को वन विभाग ने किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता 73 वर्ष पार कर चुका है और वन विभाग उसे ग्रेच्युटी की अदायगी करने में आनाकानी कर रहा है। 6 दिसंबर को हाईकोर्ट ने वन विभाग को आदेश दिए थे कि 15 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता की  ग्रेच्युटी की अदायगी की जाए। अदालत ने 27 दिसंबर के लिए अपने आदेशों की अनुपालना तलब की थी। विभाग ने याचिकाकर्ता को  केवल 1,04,439 रुपये ही अदा किए थे। 

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स्कूलों में गैर शिक्षकों के खाली पदों पर मुख्य सचिव और प्रधान शिक्षा सचिव की तरफ से शिक्षा निदेशक ने ही जवाब दायर कर दिया। हाईकोर्ट ने इस पर हैरानी जताते हुए शिक्षा निदेशक से स्पष्टीकरण तलब किया है। मामले की सुनवाई 15 मार्च को निर्धारित की गई है। शिक्षा निदेशक ने अपने जवाब में अदालत को बताया कि सरकार की ओर से नियम बनाने के बाद ही इन पदों को भरा जाएगा। अभी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के 768 पद खाली है।

इन पदों के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियम न होने से भर्ती प्रक्रिया नहीं हो पा रही है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि मामले की आगामी सुनवाई तक इन नियमों को तैयार करे। तत्तापानी निवासी प्रताप सिंह ठाकुर की ओर से मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। खंडपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव सहित प्रधान सचिव शिक्षा को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया था।

पत्र के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के दो हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। सरकारी स्कूलों में इन पदों के खाली रहते बच्चे निजी स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं। यह भी कहा गया है कि सरकारी स्कूलों में पुस्तकालय न होने की वजह से बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की अच्छी तरह से तैयारी नहीं कर पाते हैं। पत्र के माध्यम से गुहार लगाई है कि राज्य सरकार को सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के पद भरने के आदेश दिए जाएं।



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