HPU Shimla 1st Year Result: बीएससी प्रथम वर्ष में सिर्फ 20, बीकॉम में 33 फीसदी विद्यार्थी ही पास, हंगामा

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नतीजों से नाराज विद्यार्थियों ने किया प्रदर्शन।

नतीजों से नाराज विद्यार्थियों ने किया प्रदर्शन।
– फोटो : अमर उजाला

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हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के बीएससी और बीकॉम प्रथम वर्ष के नतीजों पर सवाल खड़े हो गए हैं। पांच माह इंतजार कराने के बाद घोषित किए गए नतीजों में बीएससी में सिर्फ 20, बीकॉम में 33 फीसदी विद्यार्थी ही पास हुए हैं। नतीजों से नाराज छात्र-छात्राओं ने एचपीयू समेत धर्मशाला, बैजनाथ, चंबा के बनीखेत और ऊना के भटोली कॉलेज में धरना-प्रदर्शन किए। ऑन स्क्रीन मूल्यांकन, एंटर प्राइज सिसोर्स प्लानिंग (ऑनलाइन सिस्टम) में खामी का आरोप लगाते हुए छात्र-छात्राओं ने जमकर नारेबाजी की।

एचपीयू में एबीवीपी की अगुवाई में प्रति कुलपति से भी मुलाकात की गई। प्रति कुलपति प्रो. ज्योति प्रकाश ने डीन प्लानिंग की अध्यक्षता में परिणाम की पड़ताल के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। कमेटी में डीएसडब्लू, परीक्षा नियंत्रक, डीन सीडीसी और परीक्षा शाखा के एआर को सदस्य बनाया गया है। यह कमेटी दो दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।  

 दरअसल, बीते जून में बीएससी प्रथम वर्ष के 10,081 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। इनमें से सिर्फ 2,022 ही उत्तीर्ण हुए हैं। 5,392 फेल हो गए हैं जबकि 1,099 को कंपार्टमेंट आई है। 1,568 विद्यार्थियों का रिजल्ट लेट दर्शाया गया है। बीकॉम प्रथम वर्ष में 6,659 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। इनमें से 2,202 उत्तीर्ण हुए हैं जबकि 2,167 फेल हो गए हैं। 1,702 को कंपार्टमेंट आई है जबकि 588 का रिजल्ट लेट है। 

हजारों विद्यार्थियों को एक साल बर्बाद होने का डर
परीक्षा परिणाम खराब रहने से दूसरे वर्ष की पढ़ाई पूरी कर चुके छात्र-छात्राओं को साल बर्बाद होने का डर सता रहा है। जो फेल हुए हैं, उन्हें अब पहले वर्ष की परीक्षा में अपीयर होना पड़ेगा।  

विद्यार्थियों और छात्र संगठन की ओर से परीक्षा परिणाम को लेकर मिली शिकायत पर कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी दो दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जो भी रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर छात्र हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाएगा। यदि ऑनलाइन सिस्टम में खामी रही होगी तो उसे भी दुरुस्त किया जाएगा।  – प्रो. ज्योति प्रकाश, विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति 
 

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में परीक्षा प्रणाली को लेकर लागू किया गया ऑनलाइन सिस्टम शुरू से ही छात्रों के लिए सिरदर्द बना रहा है। पीजी कोर्स में 2021-22 में किया गया उत्तर पुस्तिकाओं का ऑन स्क्रीन मूल्यांकन का प्रयोग असफल रहा था। जिसे पूर्व कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार के कार्यकाल में किया था। इसमें भी खामियां रही थीं। विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम लटक गए थे। इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने इसे यूजी कोर्स प्रथम वर्ष में लागू किया।

अब इसका खामियाजा छात्रों को आधे अधूरे घोषित परीक्षा परिणाम के रूप में भुगतना पड़ रहा है। यूजी के बीएससी और बीकॉम के घोषित परिणाम के 20 और 33 फीसदी रहने पर अपने आप में गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। विवि की ओर से अपनाए गए ऑन स्क्रीन मूल्यांकन भी छात्रों के आधे अधूरे परीक्षा परिणाम का संभावित कारण हो सकता है। यूजी डिग्री कोर्स के ऑनस्क्रीन मूल्यांकन की प्रक्रिया में उत्तर पुस्तिकाओं की स्कैनिंग करने से लेकर इसे शिक्षकों को ऑनलाइन ही शिक्षकों को मूल्यांकन के लिए भेजे जाने तक की पूरी प्रक्रिया ईआरपी प्रोजेक्ट की कंपनी के कर्मी ही करते रहे हैं।

इसका पहला प्रयोग 2021-22 में पीजी के कुछ कोर्स से किया था जो असफल रहा था। बाद में पुराने तरीके से मूल्यांकन कर रिजल्ट तैयार करने पड़े थे। पूरी प्रक्रिया ईआरपी कंपनी से ठेके पर ही करवाई जाती है। ऐसे में स्कैनिंग में या इसे शिक्षकों तक पहुंचाने, शिक्षकों के इन उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन, अवार्ड आने तक की पूरी प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर खामी रहने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

यह कोई नया मामला नहीं है। विश्वविद्यालय में जब से एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) विवि को ऑनलाइन करने का प्रोजेक्ट चल रहा है, तब से करोड़ों खर्च हो जाने के बावजूद विवि के यूजी और पीजी छात्रों को इससे सुविधा कम, असुविधा और परेशानी ही अधिक हुई है। छात्र संगठनों ने शुरू से ही ईआरपी सिस्टम की खामियों का विरोध किया है। विवि की ओर से अपनाए ऑन स्क्रीन मूल्यांकन प्रक्रिया का छात्र संगठनों के साथ, विवि के कर्मचारी, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने वाले शिक्षक भी विरोध करते रहे हैं। 

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हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के बीएससी और बीकॉम प्रथम वर्ष के नतीजों पर सवाल खड़े हो गए हैं। पांच माह इंतजार कराने के बाद घोषित किए गए नतीजों में बीएससी में सिर्फ 20, बीकॉम में 33 फीसदी विद्यार्थी ही पास हुए हैं। नतीजों से नाराज छात्र-छात्राओं ने एचपीयू समेत धर्मशाला, बैजनाथ, चंबा के बनीखेत और ऊना के भटोली कॉलेज में धरना-प्रदर्शन किए। ऑन स्क्रीन मूल्यांकन, एंटर प्राइज सिसोर्स प्लानिंग (ऑनलाइन सिस्टम) में खामी का आरोप लगाते हुए छात्र-छात्राओं ने जमकर नारेबाजी की।

एचपीयू में एबीवीपी की अगुवाई में प्रति कुलपति से भी मुलाकात की गई। प्रति कुलपति प्रो. ज्योति प्रकाश ने डीन प्लानिंग की अध्यक्षता में परिणाम की पड़ताल के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। कमेटी में डीएसडब्लू, परीक्षा नियंत्रक, डीन सीडीसी और परीक्षा शाखा के एआर को सदस्य बनाया गया है। यह कमेटी दो दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।  

 दरअसल, बीते जून में बीएससी प्रथम वर्ष के 10,081 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। इनमें से सिर्फ 2,022 ही उत्तीर्ण हुए हैं। 5,392 फेल हो गए हैं जबकि 1,099 को कंपार्टमेंट आई है। 1,568 विद्यार्थियों का रिजल्ट लेट दर्शाया गया है। बीकॉम प्रथम वर्ष में 6,659 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। इनमें से 2,202 उत्तीर्ण हुए हैं जबकि 2,167 फेल हो गए हैं। 1,702 को कंपार्टमेंट आई है जबकि 588 का रिजल्ट लेट है। 

हजारों विद्यार्थियों को एक साल बर्बाद होने का डर

परीक्षा परिणाम खराब रहने से दूसरे वर्ष की पढ़ाई पूरी कर चुके छात्र-छात्राओं को साल बर्बाद होने का डर सता रहा है। जो फेल हुए हैं, उन्हें अब पहले वर्ष की परीक्षा में अपीयर होना पड़ेगा।  

विद्यार्थियों और छात्र संगठन की ओर से परीक्षा परिणाम को लेकर मिली शिकायत पर कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी दो दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जो भी रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर छात्र हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाएगा। यदि ऑनलाइन सिस्टम में खामी रही होगी तो उसे भी दुरुस्त किया जाएगा।  – प्रो. ज्योति प्रकाश, विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति 

 



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