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जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी सलामी लेते।
– फोटो : अमर उजाला
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समंदर, जमीन और आसमान के साथ अब अंतरिक्ष भी युद्ध का मैदान है। कंप्यूटर पर आभासी युद्ध पारंपरिक लड़ाई से काफी घातक साबित हो सकती है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनो प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी, एज कंप्यूटिंग का दौर है। पूरी दुनिया में युद्ध की प्रकृति बदल रही है और समय चुनौतीपूर्ण है। लिहाजा हर क्षेत्र में पारंगत होकर सभी चुनौतियों से पार पाना होगा।
सेना की मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने आईएमए की पासिंग आउट परेड में युवा सैन्य अफसरों को आगाह करते हुए ये बातें कहीं। जनरल डिमरी ने कहा कि अफसर गैर परंपरागत युद्ध के लिए भी तैयार रहें।
याद रहे कि भविष्य का युद्ध क्षेत्र चाहे कितना भी विकसित क्यों न हो, प्रभावी नेतृत्व के लिए व्यक्तिगत क्षमताएं और गुण ही महत्वपूर्ण होते हैं। युवा अफसरों को हर क्षेत्र में पारंगत होकर सामने खड़ी हर चुनौती से पार पाना होगा। उन्होंने कहा कि सीखने की कोई सीमा नहीं होती है।
वैश्विक स्तर पर भारतीय सेना की अलग पहचान है। इस परंपरा को बनाए रखने की जिम्मेदारी युवा अफसरों की है। कैडेट से सैन्य अधिकारी बने नौजवानों से उन्होंने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ देश सेवा करने का आह्वान किया। उन्होंने विदेशी कैडेट्स को प्रशिक्षण पूरा करने पर बधाई दी।
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कहा कि यहां उन्होंने न केवल जीवनभर के लिए दोस्त बनाए हैं बल्कि अपने देश का भी अच्छे ढंग से प्रतिनिधित्व किया। आईएमए में विकसित एकजुटता का यह भाव दुनिया के सामने आने वाली वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और उनसे निपटने में कारगर होगा।
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