International Women’s Day : 106 साल की रामबाई हौसलों को दे रहीं उड़ान, अब भी बुलंद हैं भगवानी देवी के इरादे

[ad_1]

रामबाई और भगवानी देवी

रामबाई और भगवानी देवी
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

हौसले उम्र के मोहताज नहीं होते, बस उन्हें उड़ान देनी पड़ती है। 106 साल की उड़नपरी रामबाई महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं। करीब दो साल पहले शुरू हुआ उनका दौड़ लगाने का सफर अब शीर्ष पर पहुंच गया है। वह पचास से अधिक स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। अब वह इस साल होने वाली अगली प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी कर रही हैं। 

दिल्ली महिला आयोग रामबाई के इसी जज्बे को सलाम करने जा रहा है। आयोग महिला दिवस पर आगामी 11 मार्च को उन्हें सम्मानित करने जा रहा है। जिस उम्र में बुजुर्गों को किसी सहारे की जरूरत होती है उस उम्र में रामबाई 100 मीटर तक दौड़ लगाकर सबको हैरान कर देती हैं। द्वारका निवासी शर्मिला जो कि रामबाई की नातिन हैं, बताती हैं कि नानी अगर बीमार होती हैं तो वह मैदान पर जाकर ठीक हो जाती हैं। हम सब हैरान है कि इतनी ऊर्जा वह कहां से लाती हैं। हमें लगता है कि खेतों में काम करना और वहां इतना चलना उनकी इस कामयाबी का राज है। वह सभी पीढि़यों के लिए खासकर महिलाओं के लिए एक मिसाल है कि कुछ करने की कोई उम्र नहीं होती। यह सोच होना जरूरी है कि महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं। 

हाल ही में वह मिदनापुर, कोलकाता व अलवर में हुई एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 100-100 मीटर की दौड़ लगाकर आई हैं। शर्मिला बताती हैं कि मैंने उन्हें बुजुर्गों के लिए होने वाली प्रतियोगिता में दौड़ाने का मन बनाया था। घरवालों ने मुझे कहा कि इस उम्र में दौड़ लगाना ठीक नहीं है, शरीर को नुकसान होगा और हड्डी टूटने का भी खतरा है लेकिन नानी के जज्बे को देखकर मैंने हिम्मत नहीं हारी। 

100 मीटर दौड़ में बना चुकी है रिकॉर्ड

रामबाई बीते साल गुजरात के वड़ोदरा में आयोजित राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर की दौड़ 45.40 सेकेंड में पूरी कर एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था। इससे पहले यह रिकॉर्ड 2017 में 101 साल की मान कौर के नाम था। वहीं रामबाई ने इसी प्रतियोगिता में 200 मीटर की दौड़ को 1 मिनट 52.17 सेकेंड में पूरा किया था।

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *