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Jammu-Kashmir LG Manoj Sinha
– फोटो : Agency (File Photo)
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बहुत सालों बाद जम्मू-कश्मीर के प्रशासक के चेहरे पर चमक दिखाई दी है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा गर्वीले अंदाज में कहते हैं, कश्मीर बदल रहा है। आइए घूम जाइए। उपराज्यपाल 25 लाख पर्यटकों की संख्या से गदगद हैं। दूसरा बड़ा बदलाव कश्मीर में घटा आतंकवाद, बढ़ रही शांति और लोगों की भागेदारी से हर दरवाजे पर पहुंच रही सरकार है।
हमारे ड्राइवर शौकत श्रीनगर से हैं। बताते हैं सब धीरे-धीरे बदल रहा है। शाम को हज़रत बल में चहल-पहल थी। लोग आ जा रहे थे। वहां से डाउन टाउन आए। भीड़ भाड़ और लोग-बाग, सबकुछ जम्हूरियत वाले कश्मीरियत के अंदाज में दिखाई दिया। आवाम भी अमन से खुश। खुद शौकत बताते हैं कि पिछले तमाम सालों में वह डाउन टाउन, पुराने श्रीनगर के शहरी हिस्से में आने की नहीं सोच पाते थे। क्या पता कब माहौल बिगड़ जाए। सुरक्षा बलों की चौकसी भी इसी का संकेत देती है। शौकत के मुताबिक आज बड़े इत्मीनान से वह डाउन टाउन में शांत माहौल देख रहे हैं।
शाह सर्वाधिक समय जम्मू-कश्मीर को देते हैं
बारामूला, खजबाग में डिग्री कालेज के मैदान में गृह मंत्री अमित शाह आए थे। जहूर बताते हैं कि एक महीने पहले हुई शाह की जनसभा में 35,000 से अधिक लोग थे। उपराज्यपाल सिन्हा इस इनपुट पर मुस्करा देते हैं। साफ कहते हैं, क्या आपने सोचा था? वह कहते हैं कि हम ऐसा प्रधानमंत्री के जम्मू-कश्मीर को लेकर देखें गए सपने के कारण बन पा रहे हैं। हमारे गृह मंत्री शाह सबसे अधिक जम्मू-कश्मीर को समय देते हैं। एक उम्मीद जताते हैं कि इस बार का राज्य में चुनाव भी घटते आतंकवाद, बढ़ती शांति और विकास के मुद्दे पर होगा। हम जम्मू-कश्मीर को यहां के लोगों का राज्य बना रहे हैं।
डीसी बारामूला कहते हैं कि अब लोगों को सरकार के दरवाजे पर आने की जरूरत नहीं है। हमने सरकार को आवाम के दरवाजे पर पहुंचने के लक्ष्य को चुना है। पंचायत चुनाव में वोटों का टर्नआउट काफी बढ़ा था। विधानसभा चुनाव में भी लोग जमकर वोट डालेंगे। बारामूला की डीडीसी सफ़ीना कहती हैं कि पिछले तीन चार साल से सरकार तेजी से आवाम की इच्छा के अनुरूप काम कर रही है। गवर्नमेंट मेडिकल कालेज, बारामूला के उन्नतीकरण, नशे की तरफ जा रहे युवा को खेल की तरफ ले जाना, संसाधन देना, साल में कुछ महीने चलने वाले स्कूल में पढ़ाई और तालीम पर ध्यान देना, जैसे विषयों ने जनता को जोड़ा है। सहूलियतें दी हैं।
स्वास्थ्य में आयुष्मान भारत के गोल्ड कार्ड का हर कश्मीरी को लाभ मिल रहा है। बारामूला गवर्नमेंट मेडिकल कालेज की प्रो. रूबी रेसी के मुताबिक हम रोज ढाई हजार मरीजों का पंजीकरण, 40-50 का अत्याधुनिक 128 स्लाइड प्लेट मशीन से सीटी स्कैन करते हैं। बारामूला, बांदीपोरा, कुपवाड़ा के तीन जिलों की 25-26 लाख की आबादी को कवर करते हैं। प्रो. परवेज मसूदी के मुताबिक बदलाव दिखाई ही नहीं दे रहा है। लोग महसूस भी कर रहे हैं। आप इसे कश्मीर में कहीं भी तस्दीक कर सकते हैं।
बारामूला को समझिए
झेलम के पार परली बाजार, सोपोर में पहले आतंकियों का कहर रहता था। ग्रेनेड अटैक आदि होते रहते थे। श्रीनगर से बारामूला होकर उरी तक राजमार्ग जाता है। नियंत्रण रेखा से सटा क्षेत्र है। वकील बताते हैं अब 75 फीसदी तक शांति है। आतंकियों की मौजूदगी से इनकार नहीं कर सकते, लेकिन वह अभी भूमिगत हैं। बताते चलें कि 2016 तक सोपोर में आतंकियों का आतंक था। 9 जुलाई 2016 को अनंतनाग में बुरहान वानी को मुठभेड़ में सुरक्षाबलों द्वारा मार गिराने के बाद आतंकवाद का बड़ा शिफ्ट दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा (त्राल), सोपियां की तरफ हो गया था। लेकिन अभी शांति चल रही है।
बस पत्थरबाजी रुकी है, लेकिन…
2016 में चरम पर हुई पत्थरबाजी अब नहीं हो रही है। हिंसक घटना घटी है, लेकिन आतंकवादी घाटी में छिपे हैं। लोग सरकार का साथ दे रहे हैं। अमन भी है, लेकिन राख के नीचे चिंगारी दबी है। सरकार के सामने भरोसा जीतने की चुनौती है। लोगों से बात कीजिए तो सबसे बड़ा मुद्दा अनुच्छेद 370 का खत्म होना, पूर्ण राज्य का दर्जा हटना ही है। कहते हैं कि कौन आतंकवाद चाहता है। जुनैद कहते हैं कि हमारे बच्चों का सुंदर भविष्य, अमन हम चाहते हैं, लेकिन यह नहीं पता कि सरकार इतनी मेहरबानी कब तक जारी रखेगी। पूर्ण राज्य का दर्जा मिले तो कुछ समझ में आए।
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