Jammu Kashmir: घाटी के तीन जिले आतंकवाद मुक्त, दो संगठनों के पास कमांडर नहीं- ADGP विजय कुमार

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आईजीपी कश्मीर विजय कुमार

आईजीपी कश्मीर विजय कुमार
– फोटो : अमर उजाला

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कश्मीर घाटी के तीन जिले बांदीपोरा, कुपवाड़ा व गांदरबल आतंकवाद मुक्त हो गए हैं। इसके साथ ही दो आतंकी संगठनों लश्कर ए ताइबा व जैश ए मोहम्मद के पास कोई कमांडर नहीं रह गया है। इन संगठनों के कमांडर को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में मार गिराया है। यह दावा एडीजीपी कश्मीर विजय कुमार ने किया है। 

उन्होंने बताया कि कश्मीर में पुलिस की दृष्टि से 13 जिले हैं। इन जिलों में 81 आतंकवादी सक्रिय हैं जिनमें 29 स्थानीय तथा 52 पाकिस्तानी हैं। हिजबुल मुजाहिदीन का फारूक नल्ली ही केवल सक्रिय कमांडर बच गया है, जो 2015 से सक्रिय है। वह पुलिस तथा अन्य सुरक्षा बलों के रडार पर है। दो साल पहले तक 80 कमांडर थे, जो अब तीन रह गए हैं। नल्ली को छोड़कर अन्य दो सक्रिय नहीं हैं। निकट भविष्य में आतंकियों की संख्या 50 से नीचे लाने के मकसद से काम किया जा रहा है। विश्वास जताया कि अगले दो साल में कश्मीर से आतंकवाद का सफाया करने में कामयाब होंगे। 

एडीजीपी ने बताया कि ज्यादातर हाइब्रिड आतंकी दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, शोपियां, कुलगाम व अनंतनाग जिले में सक्रिय हैं। कश्मीर में सक्रिय आतंकियों का एक मॉड्यूल है जिन्हें हमले के लिए निर्देश मिलता है। इस साल अब तक ऐसे 119 मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है। इनका साफ्ट टारगेट बाहरी राज्यों के मजदूर तथा कश्मीरी पंडित हैं। पुलिस ने कुछ महिला ओवर ग्राउंड वर्कर को भी चिह्नित किया है जिन्होंने हाल की आतंकी घटनाओं में मदद पहुंचाई है। कोशिश है कि घटना के तत्काल बाद हमलावर आतंकियों का सफाया किया जाए। 

तुर्किए के पिस्टल आतंकियों तक पहुंचे
उन्होंने कहा कि हाल में आतंकियों के पास से तुर्किए के पिस्टल बरामद किए गए हैं, जो चिंता का विषय है। यह इस बात का इशारा करता है कि पाकिस्तानी हैंडलर तुर्किए के पिस्टल आतंकियों को मुहैया करा रहा है। आतंकियों का एक वर्ग ऐसा भी है जिसने आतंक का दामन थाम लिया है, लेकिन अब तक कोई आतंकी घटना को अंजाम नहीं दिया है। ऐसे 80 फीसदी मामलों में परिवार वाले पुलिस को उसकी संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देते हैं और पुलिस उन्हें मुख्यधारा में लाने में सफल हो जाती है। इस साल अब तक ऐसे 13 को मुख्यधारा में लौटाने में सफलता मिली है। 

इस साल 99 स्थानीय युवाओं ने थामी बंदूक
एडीजीपी ने बताया कि इस साल 99 स्थानीय युवाओं ने बंदूक थामी है जो छह साल में सबसे कम है। इनमें से 64 मारे गए और 17 गिरफ्तार किए गए हैं। 2021 में 136, 2020 में 167, 2019 में 140, 2018 में 201, 2017 में 147 व 2016 में 95 ने आतंक का दामन थामा था। ज्यादातर स्थानीय युवा आतंकवादी बनने के एक महीने के भीतर ही मार गिराए गए। इस साल 29 नागरिकों की आतंकियों ने हत्या कर दी है, जिसमें तीन कश्मीरी पंडित, तीन हिंदू, 15 मुस्लिम, छह गैर स्थानीय हिंदू व दो गैर स्थानीय मुस्लिम हैं। इस साल कश्मीर में 169 दहशतगर्द मारे गए। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से घाटी की सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार आया है। अब  बंद या पत्थरबाजी नहीं होती है। 

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कश्मीर घाटी के तीन जिले बांदीपोरा, कुपवाड़ा व गांदरबल आतंकवाद मुक्त हो गए हैं। इसके साथ ही दो आतंकी संगठनों लश्कर ए ताइबा व जैश ए मोहम्मद के पास कोई कमांडर नहीं रह गया है। इन संगठनों के कमांडर को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में मार गिराया है। यह दावा एडीजीपी कश्मीर विजय कुमार ने किया है। 

उन्होंने बताया कि कश्मीर में पुलिस की दृष्टि से 13 जिले हैं। इन जिलों में 81 आतंकवादी सक्रिय हैं जिनमें 29 स्थानीय तथा 52 पाकिस्तानी हैं। हिजबुल मुजाहिदीन का फारूक नल्ली ही केवल सक्रिय कमांडर बच गया है, जो 2015 से सक्रिय है। वह पुलिस तथा अन्य सुरक्षा बलों के रडार पर है। दो साल पहले तक 80 कमांडर थे, जो अब तीन रह गए हैं। नल्ली को छोड़कर अन्य दो सक्रिय नहीं हैं। निकट भविष्य में आतंकियों की संख्या 50 से नीचे लाने के मकसद से काम किया जा रहा है। विश्वास जताया कि अगले दो साल में कश्मीर से आतंकवाद का सफाया करने में कामयाब होंगे। 

एडीजीपी ने बताया कि ज्यादातर हाइब्रिड आतंकी दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, शोपियां, कुलगाम व अनंतनाग जिले में सक्रिय हैं। कश्मीर में सक्रिय आतंकियों का एक मॉड्यूल है जिन्हें हमले के लिए निर्देश मिलता है। इस साल अब तक ऐसे 119 मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है। इनका साफ्ट टारगेट बाहरी राज्यों के मजदूर तथा कश्मीरी पंडित हैं। पुलिस ने कुछ महिला ओवर ग्राउंड वर्कर को भी चिह्नित किया है जिन्होंने हाल की आतंकी घटनाओं में मदद पहुंचाई है। कोशिश है कि घटना के तत्काल बाद हमलावर आतंकियों का सफाया किया जाए। 

तुर्किए के पिस्टल आतंकियों तक पहुंचे

उन्होंने कहा कि हाल में आतंकियों के पास से तुर्किए के पिस्टल बरामद किए गए हैं, जो चिंता का विषय है। यह इस बात का इशारा करता है कि पाकिस्तानी हैंडलर तुर्किए के पिस्टल आतंकियों को मुहैया करा रहा है। आतंकियों का एक वर्ग ऐसा भी है जिसने आतंक का दामन थाम लिया है, लेकिन अब तक कोई आतंकी घटना को अंजाम नहीं दिया है। ऐसे 80 फीसदी मामलों में परिवार वाले पुलिस को उसकी संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देते हैं और पुलिस उन्हें मुख्यधारा में लाने में सफल हो जाती है। इस साल अब तक ऐसे 13 को मुख्यधारा में लौटाने में सफलता मिली है। 

इस साल 99 स्थानीय युवाओं ने थामी बंदूक

एडीजीपी ने बताया कि इस साल 99 स्थानीय युवाओं ने बंदूक थामी है जो छह साल में सबसे कम है। इनमें से 64 मारे गए और 17 गिरफ्तार किए गए हैं। 2021 में 136, 2020 में 167, 2019 में 140, 2018 में 201, 2017 में 147 व 2016 में 95 ने आतंक का दामन थामा था। ज्यादातर स्थानीय युवा आतंकवादी बनने के एक महीने के भीतर ही मार गिराए गए। इस साल 29 नागरिकों की आतंकियों ने हत्या कर दी है, जिसमें तीन कश्मीरी पंडित, तीन हिंदू, 15 मुस्लिम, छह गैर स्थानीय हिंदू व दो गैर स्थानीय मुस्लिम हैं। इस साल कश्मीर में 169 दहशतगर्द मारे गए। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से घाटी की सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार आया है। अब  बंद या पत्थरबाजी नहीं होती है। 



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