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Jammu-Kashmir: Baramulla
– फोटो : Amar Ujala
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आठ करोड़ जमीन के रिकार्ड से जुड़े पेजों को 22 भाषाओं में अनुवादित करने का रिकार्ड बनाया और अब हर जमीन के मालिक को उसका जमीन पासबुक (खतौनी) दे रहे हैं। आपकी जमीन, आपकी निगरानी जैसी यह योजना जम्मू-कश्मीर को बदलने वाली है। यह हम नहीं, बल्कि जम्मू कश्मीर के प्रशासक कह रहे हैं। बताते हैं कि करीब 22 लाख इसके व्यू आए हैं और आप कहीं से भी बैठकर जमीन की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
राजस्व विभाग की इस तैयारी और बदलाव के बाद आपको बारामूला की एसडीएम भी यहां बसने का न्यौता देती नजर आएंगी। औद्योगिक विभाग में निदेशक सलोनी के मुताबिक अब राज्य में निवेश के प्रस्ताव आने लगे हैं। एक उच्चस्तरीय अधिकारी ने भरोसा देते हुए कहा, श्रीनगर ही नहीं कश्मीर बदल रहा है। कई निवेशक चिकित्सा, स्कूल, ढांचागत विकास, रिअल एस्टेट समेत अन्य में इच्छुक हैं। वह तो यहां तक कहते हैं कि आप भी यहां आकर बस चाहते हैं, चाहें तो प्लॉट भी ले सकते हैं। बताते हैं यहां के राजस्व विभाग के दस्तावेज उर्दू भाषा में थे। इन्हें पढ़ना हर किसी और बाहर से लोगों, निवेशकों, अधिकारियों के बस का नहीं था। लिहाजा नीतिगत निर्णय लेकर सरकार ने इन्हें स्कैन कराकर अनुवाद करने और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डालने का निर्णय लिया।
सभी क्षेत्रों में फोकस से बदलेगी तस्वीर
बारामूला से तंगधार के रास्ते गुलमर्ग रवाना होने पर रास्ते में डा. शरिश असगर मिलीं। बताया कि कैसे विकास को गति देने के लिए श्रीनगर से उरी तक राजमार्ग को चौड़ा किया जा रहा है और फ्लाईओवर बनाए जा रहे हैं। असगर ने बताया कि विकास से ही क्या होगा? हम इसके आगे कृषि, बागवानी के क्षेत्र में काफी काम कर रहे हैं। मशरूम, लीची, सेब, अंगूर की खेती को आधुनिक और नया आयाम दे रहे हैं। ताकि गांव के लोग अपनी निर्भरता के विकल्प बढ़ा सकें। तेजस्विनी जैसी योजना के तहत महिलाओं को सस्ती दर पर लोन और युवाओं को स्वरोजगार के लिए कम ब्याज पर साधन दिया जा रहा है। ताकि युवा अभाव में न भटके। शिक्षा और खेल पर काफी जोर है। इसके अलावा नशे की तरफ से ध्यान मोड़ने के लिए सभी स्तर पर प्रयास हो रहा है।
पर्यटक बदलेंगे तस्वीर
इसे राज्य सरकार भी समझ रही है। गुलमर्ग के रास्ते मिल रही पर्यटकों की गाड़ियां काफी कुछ बयां करती हैं। मंजूर बताते हैं कि 2016 के पहले यह सब ठप हो गया था। लेकिन इस बार बड़ी संख्या में अमरनाथ यात्री आए थे। मंजूर कहते हैं कि जब पर्यटक आता है तो होटल, बाजार, सड़क पर वाहन सब चलता है। यहां की बाजार से लोग सामान खरीदते हैं और स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी, जीवन चलता है। मंजूर के मुताबिक आवाम भी इसे समझने लगी है। हमें भी उम्मीद दिखाई देने लगती है। हालांकि मंजूर एक गहरी सांस भी लेते हैं। बताते हैं 2011-12 के बाद चीजें तेजी से बदल रही थीं। 2016 में बुरहान वानी को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद फिर सब बदल गया था। अब एक बार फिर शांति बहाल होने के संकेत मिल रहे हैं। इंशाअल्लाह ऐसा ही हो।
हमारे यहां एक फीसदी भी एनपीए नहीं
एसडीएम यह नहीं बता सकतीं कि अभी युवाओं, किसानों, महिलाओं, उद्यमियों को कितना लोन दिया जा चुका है। लेकिन उनका कहना है कि जिसने लोन लिया है, वह समय पर बैंक को अदायगी कर रहा है। एक प्रतिशत का भी एनपीए नहीं है। वहीं औद्योगिक विभाग की निदेशक सलोनी के मुताबिक राज्य सरकार ने निवेश आकर्षित करने के लिए सहूलियत और रियायत के दरवाजे खोल दिए हैं।
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