[ad_1]
लखनऊ. जन्माष्टमी को लेकर पूरी तरह बाजार सज चुका है. शहर की इस्कान मंदिर दुल्हन की तरह सजकर तैयार है. बाजारों में खरीदारी भी शुरू हो गई है. दुकानों पर कृष्ण भक्तों की मौजूदगी से बाजारों में रौनक बढ़ गई है. घर के मंदिर में विराजे सभी भगवान की पोशाकें व गहने भक्त खरीद रहे है तो किसी को सिर्फ कान्हा के लिए खरीदारी करनी है. दुकानदारों के मुताबिक पोशाक, पगड़ी, गहने, झूले सबकुछ वही है, लेकिन डिजाइन अभी तक मथुरा-वृंदावन से सामान मंगाए जाते थे, इस बार सूरत, मुंबई और राजस्थान से भी लड्डू गोपाल के लिए सामान मंगवाए गए हैं.
janmashtami Puja Samagri: इस बार राजस्थान से भी मंगाई गई है पोशाक
निशातगंज गोलमार्केट के एक दुकानदार ने बताया कि मथुरा-वृंदावन से पोशाक गहने और पगड़ी मंगाई जाती है. इस बार राजस्थान के कारीगरों द्वारा तैयार पगड़ी बहुत खास है. रंग बिरंगा साफा, नगीं, मोतियों और लड़ियों से सजी पगड़ी हर साइज में है. सूरत के जरी, मोती, ब्रेकिड के काम और कटवर्क के साथ परिधान भी छोटे से लेकर बड़े लड्डू गोपाल के साइज में उपलब्ध हैं. कीमत शुरू हो रही है 50 रुपये से मथुरा-वृंदावन वाली पोशाक 20 रुपये से शुरू होती है. जितना ज्यादा कपड़ों पर काम, उसी हिसाब से कीमत बढ़ती जाएगी.
janmashtami Puja Samagri: मुस्लिम परिवार तैयार करते हैं पोशाक
अमीनाबाद की जिस गली में जन्माष्टमी के सामान मिल रहे हैं, वहां की एक और खास बात है कि कान्हा के लिए पोशाक तैयार करवाने वाले सभी मुस्लिम परिवार हैं. उनका कहना है कि हमारी कई पीढ़ियां इस काम से जुड़ी रही हैं. हम लोगों को गर्व है कि हम लोग हिंदुओं की आस्था से जुड़े भगवानों के परिधान, शृंगार आदि का सामान तैयार करते व करवाते हैं.
janmashtami Puja Samagri: मीनाकारी वाले लकड़ी-फाइबर व मेटल के झूले
एक तरफ गहने-कपड़े बिक रहे तो दूसरी तरफ कई दुकानों ने सिर्फ झूलों की विशाल रेंज मंगवाई गई है. इसमें स्थानीय कारीगरों से तैयार लकड़ी व मेटल के झूलों पर वेलवेट का काम किया गया तो मुंबई से विशेष तौर पर लकड़ी- फाइबर मिक्स झूले भी हैं, जिन पर राजस्थानी मीनाकारी उसे खास बनाती है. कीमत 150, 250, 900 से लेकर 3000 रुपये तक के है.
janmashtami Puja Samagri List in hindi: जन्माष्टमी पूजन सामग्री
लड्डू गोपाल की मूर्ति, सिंहासन, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, फूल माला, कमलगट्टे, पीले वस्त्र, केले के पत्ते, कुशा और दूर्वा, पंचमेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, तुलसी के पत्ते, शुद्ध घी, दही, दूध, मौसम के अनुसार फल, इत्र, पंचामृत, पुष्प, कुमकुम, अक्षत, आभूषण, मौली, रुई, तुलसी की माला, खड़ा धनिया, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, सप्तमृत्तिका, सप्तधान, बाजोट या झूला, नैवेद्य या मिठाई, छोटी इलायची, लौंग, धूपबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, माखन, मिश्री, कलश, दीपक, धूप, नारियल, अभिषेक के लिए तांबे या चांदी का पात्र, मोरपंख, बांसुरी, गाय की प्रतिमा, वैजयंती माला, लाल कपड़ा, तुलसी के पत्ते, आभूषण, मोट मुकुट, खीरा, गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र इत्यादि.
Janmashtami kab hai: इस्कान मंदिर में कब मनाया जाएगा जन्माष्टमी
हर वर्ष की तरह ही इस साल भी इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव पूरी भव्यता से मनाया जाएगा. सोमवार को होटल क्लार्क अवध में हुई प्रेस वार्ता में इसकी जानकारी दी गई. मंदिर निर्माण कमेटी के चेयरमैन आनंद स्वरूप अग्रवाल के अनुसार जन्माष्टमी महोत्सव सात सितंबर को भोर में 4 बजकर 30 मिनट पर मंगला आरती से शुरू होगा. इसके बाद श्रृंगार आरती, भजन, संध्या आरती का क्रम चलेगा. दोपहर 12 बजे से रात्रि 12 बजे तक महाअभिषेक चलेगा. इसके साथ हो गुरुकुल के बच्चों की ओर से नाट्य प्रस्तुतियां की जाएगी.
Mathura me Janmashtami kab hai: मथुरा में जन्माष्टमी 2023 कब
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की दो तारीखों को लेकर चल रही असमंजस अब खत्म हो गई है. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थल और वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में एक ही दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी. जन्माष्टमी को लेकर अभी से लोगों का पहुंचना शुरू हो गया है. श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी 7 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी. यहां जन्माष्टमी की रौनक बहुत खास होती है. बांके बिहारी के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी होती है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान के अनुसार ही ब्रजवासी जन्माष्टमी का त्योहार मनाते रहे है. यहां जन्माष्टमी 7 सितंबर को है. वैष्णव सम्प्रदाय के प्रमुख द्वारिकाधीष मंदिर में भी जन्माष्टमी इसी दिन मनाई जा रही है. वहीं ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में भी 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी.
janmashtami vrat kab hai: कब रखा जाएगा जन्माष्टमी का व्रत
भाद्रपद अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ होगी और 7 सितंबर को शाम में 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगी. इसी के साथ रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 6 सितंबर को सुबह 9 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगी और 7 सितंबर को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी. गृहस्थ लोग जन्माष्टमी का व्रत 6 तारीख को रखेंगे, जबकि वैष्णव व बल्लभ पंथ मानने वालों की जन्माष्टमी 7 सितंबर को है.
[ad_2]
Source link