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Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत नहाय खाय में मछली और मडुआ रोटी खाने का रिवाज
जितिया व्रत के एक दिन पहले नहाय खाय किया जाता है. महिलाएं इस दिन मड़ुआ की रोटी और मछली बनाती हैं. इस दिन मछली खाने का महत्व है.
Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत विधि
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
फिर भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें.
इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें.
इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है.
इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है.
पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है.
पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें
मिथिला की महिलाएं 17 सितंबर को रखेंगी उपवास
मिथिलांचल और देश के अन्य हिस्सों में रहने वाली मैथिल महिलाएं 16 सितंबर को व्रत को लेकर स्नान करेंगी और 17 सितंबर को उपवास रखेंगी. इसी दिन पूजा-अर्चना करेंगी और व्रत की कथा सुनेंगी. मिथिला पंचांग के अनुसार सप्तमी युक्त अष्टमी के व्रत की महत्ता है. इस दिन दोपहर में 3:06 बजे से अष्टमी लगेगा. इसका समापन रविवार को शाम 4:39 बजे होगा. इसके बाद व्रतधारी पारणा करेंगी.
मातृ नवमी का श्राद्ध करने के बाद होगा नहाय खाय
मातृ नवमी का श्राद्ध भी होगा. इससे पहले 17 सितंबर को महिला इस व्रत के लिए स्नान करेंगी और अपने पितरों को जलांजलि देकर उन्हें तृप्त करेंगी. इसके बाद मडुवा रोटी, नोनी का साग, सतपुतिया की सब्जी सहित अन्य कुछ ग्रहण करेंगी और रात में ओठगन करेंगी.
Jitiya Vrat 2022: जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर को
जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर को है. वाराणसी पंचांग के अनुसार इस दिन शाम 4:39 बजे तक अष्टमी है. इस वजह से व्रत का पारण 19 सितंबर को होगा. पंचांग के अनुसार, पारणा के लिए नवमी तिथि और पूर्वाह्न के समय की महत्ता है. यही वजह है कि इसकी पारणा अगले दिन अर्थात् सोमवार को सूर्योदय के बाद होगा. इस दिन सूर्योदय 5:57 बजे होगा.
Jivitputrika Vrat 2022: जीवित्पुत्रिका व्रत शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 17 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से हो रहा है और यह तिथि अगले दिन 18 सितंबर को शाम 04 बजकर 32 मिनट तक मान्य है. ऐसे में जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर दिन रविवार को रखा जाएगा.
Jivitputrika Vrat 2022: जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व
जीवित्पुत्रिका का व्रत मुख्य रूप से वैवाहिक स्त्रियों द्वारा रखा जाता है. मान्यता है कि जो माताएं इस व्रत को करती हैं उनकी संतान की उम्र लंबी होती है और संतान को जीवन में किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता. इसके अलावा संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं यदि इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करती हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है.
Jitiya Vrat 2022: जीवित्पुत्रिका व्रत तिथि, पारण का समय
पंचांग के अनुसार, 17 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही है और 18 सितंबर को दोपहर 04 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा. 19 सितंबर की सुबह 06 बजकर 10 मिनट के बाद व्रत पारण कर सकते हैं.
जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाए से होती है.
इस साल 17 सितंबर 2022 शनिवार को नहाए खाए होगा.
18 सितंबर 2022 रविवार को निर्जला व्रत रखा जाएगा .
19 सितंबर को सूर्य उदय के बाद व्रत का पारण किया जाएगा.
Jitiya Vrat 2022: सप्तमी से शुरू हो जाते हैं जितिया व्रत के नियम
हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखने का विधान है. जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया या जिउतिया व्रत के नाम से जाना जाता हैं. यह व्रत सप्तमी से शुरू होती है और नवमी तिथि को समाप्त हो जाती है. जितिया व्रत संतान की लंबी आयु के लिए माताएं रखती हैं.
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