[ad_1]

Earthquake
– फोटो : ANI
विस्तार
वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
उत्तर भारत में भूकंप के छोटे-मोटे झटके आम हो गए हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो इस तरह के झटके आने से जमीन के नीचे बनने वाला प्रेशर रिलीज हो जाता है, जो लाभकारी है। लेकिन प्रदेश में उड़ी से किश्तवाड़ तक का क्षेत्र भूकंप के हिसाब से सबसे ज्यादा संवेदनशील है। इस क्षेत्र में यदि छह रिक्टर स्केल पर भूकंप आया तो भारी तबाही हो सकती है। इसका एक बड़ा कारण अप्राकृतिक तरीके से होने वाला आवासीय और व्यावसायिक निर्माण भी है।
जम्मू विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के पूर्व एचओडी प्रो. एचएम भट्ट का कहना है कि उड़ी से लेकर किश्तवाड़ और किश्तवाड़ से चंबा तक की बेल्ट सबसे अधिक संवेदनशील है। अभी हाल ही में आए भूकंप का क्षेत्र जंस्कार था, जिसकी गहराई 137 किलोमीटर तक की थी।
इन क्षेत्रों में भूकंप आने का इतना खतरा नहीं है। लेकिन किश्तवाड़ से चंबा और उड़ी की बेल्ट में यदि छह रिक्टर स्केल तक भूकंप आता है तो बड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिए इन क्षेत्रों में नए निर्माण नियमों के तहत सही से होने चाहिए। जबकि असुरक्षित निर्माण को ठीक कर लेना चाहिए। इससे भूकंप आने पर बचा जा सकता है। भट्ट ने यह भी कहा कि इन क्षेत्रों में कोई तय समय नहीं है कि कब भूकंप आएगा। इस बेल्ट में कभी भी भूकंप आ सकता है और इससे बचने के लिए पहले से तैयारी होनी चाहिए।
जम्मू कश्मीर में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। बुधवार दोपहर 11 बजकर 57 मिनट पर जम्मू संभाग के जिला किश्तवाड़ में धरती डोली। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.4 दर्ज की गई। इसके बाद 12 बजकर 18 मिनट पर एक बार फिर भूकंप का झटका दर्ज किया गया, जिसकी तीव्रता 2.9 दर्ज की गई। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने ये जानकारी साझी की। जम्मू कश्मीर और लद्दाख में पिछले तीन दिनों में 14 बार धरती कांपी है। यहां पढ़ें पूरी खबर…
[ad_2]
Source link