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Jammu Kashmir Recruitment Scam
– फोटो : अमर उजाला
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सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने बहुचर्चित एसआई भर्ती घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दायर जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया है। यह याचिकाकर्ता यतिन यादव द्वारा दायर की गई थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता को धारा 420, 411, 408 और 120-बी के तहत गिरफ्तार किया गया है।
याचिकाकर्ता ने डिफाल्ट जमानत की मांग करते हुए ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की। उसके अनुसार अधूरा आरोप पत्र 60 दिनों के भीतर दायर किया गया था, जिसे ट्रायल कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था। याचिकाकर्ता का तर्क था कि उनकी न्यायिक हिरासत के 61वें दिन रिकॉर्ड पर कोई वैध और कानूनी आरोप पत्र दायर नहीं किया गया था। इसलिए वह डिफाल्ट जमानत के हकदार है। इस संबंध में खंडपीठ ने सीबीआई को स्थिति स्पष्ट करने के लिए नोटिस जारी किया है।
खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी की सही तारीख के संबंध में कुछ विसंगति है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 17 सितंबर 2022 को उसे गिरफ्तार किया गया था। दो दिन की अवधि के लिए हिरासत में, जबकि 19 सितंबर 2022 को याचिकाकर्ता को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत द्वारा प्रस्तुत मुख्य तर्क यह है कि सीआरपीसी की धारा 173 का स्पष्ट दर्शाता है कि प्रत्येक जांच अनावश्यक देरी के बिना पूरी की जानी चाहिए और जैसे ही यह पूरी हो जाती है।
पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी निर्धारित प्रपत्र में मजिस्ट्रेट को एक रिपोर्ट भेजेंगे। इसलिए सीआरपीसी की धारा 173, उप-धारा (2) में पुलिस रिपोर्ट भेजने का कोई सवाल ही नहीं है। सीआरपीसी की धारा 190(1)(बी) के तहत मजिस्ट्रेट द्वारा अपराध का संज्ञान लेने का कोई सवाल ही नहीं है। इन्हीं तर्कों के आधार पर सीबीआई को नोटिस जारी हुआ।
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