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जोशीमठ में लगातार बढ़ रही दरारें प्रशासन के लिए चुनौती बढ़ा रही है। जहां उनके सामने लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने, पुनर्वास की चुनौती है तो वहीं लगातार धंसते जोशीमठ को बचाने की भी समस्या है। सरकार जोशीमठ को बचाने और लोगों को भी तत्कालिक राहत देने की बात तो कर रही है, लेकिन यहां आश्वासन पर लोगों का आक्रोश थम नहीं रहा है। एनटीपीसी के टनल में तकनीकी विशेषज्ञ टीम पहुंच गई है।
शुक्रवार को यहां पहुंची विशेषज्ञों की टीम का आक्रोशित महिलाओं ने रास्ता रोक दिया। गुस्साई महिलाओं ने कहा कि उन्हें विकास चाहिए है, लेकिन यह विनाश उन्हें स्वीकार्य नहीं। अमर उजाला से बातचीत में ग्रामीण विजय बिष्ट ने कहा कि अपने सामने अपने घर और शहर की ऐसी हालत देखी नहीं जा रही है। विकास के नाम पर हमारे शहर का ऐसा हाल कर दिया गया है। आज संकट हमारे सामने हैं। पानी घर तक पहुंच रहा है।
इस स्थिति पर अमर उजाला से विशेष बातचीत की चमोली के मुख्य विकास अधिकारी डॉ. ललित नारायण मिश्र ने। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश।
सवाल: आप कई दिन से यहां का दौरा कर रहे हैं। आपने क्या पाया कि समस्या की जड़ कहां है?
जवाब: यहां एक वाटर सोर्स है, जिससे लगातार मॉश्चर आ रही है। यहां टीम आई हुई है, एनआईटी, एनआईएच, आईआईटी, वाडिया से विशेषज्ञ आए हुए हैं। इसका कारण तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हमारा मुख्य प्रयास तत्काल लोगों को रिहेब की राहत देने पर है।
जवाब: ऐसा नहीं है। हम उन्हें पूरी सुविधा दे रहे हैं। इसके लिए टीम बनाई गई है। खाने की भी सुविधा दी जा रही है। हम प्रयास कर रहे हैं।
जवाब: वह ट्रीटमेंट ही होगा। हमारी विशेषज्ञ टीम उसके रास्ते तलाश रही है। उसके लिए आगे काम किया जाएगा।
सवाल: लेकिन जब तक पानी का मूल स्त्रोत नहीं ढूंढ पाएंगे, तब तक क्या होगा?
जवाब: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी(एनआईएच) की जो टीम आई है, उनके पास अत्याधुनिक उपकरण हैं, जिससे जल्द पता चल जाएगा।
सवाल: इसमें कितना समय लग जाएगा।
जवाब: सर्वे चल रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही नतीजा मिलेगा।
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