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जोशीमठ के सबसे निचले हिस्से में नगर से करीब नौ किमी दूर बदरीनाथ हाईवे पर मारवाड़ी में स्थित जेपी कॉलोनी में जलधारा दो जनवरी की रात फूटी थी। तब से लगातार मटमैला पानी निकल रहा है। रुड़की स्थित राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिकों ने इस पानी के नमूने भी भरे हैं, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है।
शनिवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से वार्ता में सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने खुद इसकी जानकारी दी। बताया, संभवत: शुक्रवार देर शाम हुई बारिश के चलते जल प्रवाह में तेजी आई है। संबंधित एजेंसियों से जल प्रवाह पर बराबर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
जल प्रवाह की स्थिति 
4 जनवरी- 550
6 जनवरी- 540
11 जनवरी- 245
13 जनवरी- 177
14 जनवरी- 240
( नोट: जल प्रवाह लीटर प्रति मिनट में )
गोपेश्वर के हल्दापानी में कई मकानों में दरारें
जिला मुख्यालय गोपेश्वर के हल्दापानी क्षेत्र में एक साल से भूस्खलन और भू-धंसाव हो रहा है। अब भू-धंसाव से पड़ी दरारें चौड़ी हो रही है। लोग इन जर्जर भवनों में रहने को मजबूर हैं लेकिन अभी तक इन घरों का वैज्ञानिक निरीक्षण नहीं कराया गया है। हल्दापानी क्षेत्र में पिछले कई सालों से भूस्खलन होने से जमीन धंस रही है लेकिन एक साल से यहां भूस्खलन तेज होने से कई मकानों में दरारें आ गई हैं। हल्दापानी क्षेत्र के लगभग सभी घरों में दरारें आई हैं, लेकिन करीब 15 मकानों में ज्यादा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर पिछले साल से दरारें काफी बढ़ी हैं। 
घर पूरी तरह ध्वस्त
पूर्व जिला पंचायत सदस्य उषा रावत ने बताया कि यहां के लोग एक साल से आवाज उठा रहे हैं लेकिन अभी तक उनके घरों का वैज्ञानिक सर्वे तक नहीं कराया गया। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में सरकार और पूरा प्रशासन सक्रिय हुआ है, लेकिन हल्दापानी की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।  हल्दापानी में एक साल पहले अनिल रतूड़ी का घर पूरी तरह ध्वस्त हो गया जिसके चलते उनको घर छोड़ना पड़ा। इसके अलावा मधु नेगी, अनीता नेगी, दीपा भट्ट, शिव सिंह बिष्ट, अनीता झिंक्वाण, गुड्डी देवी, उमा थपलियाल, विमला रावत, दीपा फरस्वाण सहित अन्य के घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आई हुई है। 
ट्रीटमेंट के लिए जारी किया बजट
शासन ने दिसंबर में हल्दापानी के ट्रीटमेंट के लिए 29 करोड़ 97 लाख रुपये जारी किए गए। इससे यहां पर भूस्खलन क्षेत्र का ट्रीटमेंट के साथ पानी निकासी सहित अन्य सुरक्षा के कार्य किए जाने हैं। सिंचाई विभाग इसके लिए कार्यदायी संस्था नियुक्त की गई है। ऊषा रावत ने बताया कि यह पैसा ट्रीटमेंट के लिए दिया गया है, लेकिन जिनके घर टूट गए या रहने लायक नहीं बचे उनके लिए सरकार ने कोई पैसा नहीं दिया है।
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