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जिसके बाद भू-धंसाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने जोशीमठ में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। इनमें एनटीपीसी की सभी परियोजनाएं, हेलंग बाईपास का निर्माण और नगर पालिका क्षेत्र में चल रहे सभी तरह के निर्माण शामिल हैं।
जोशीमठ में बढ़ते भू-धंसाव और तेज होते आंदोलन के बीच बृहस्पतिवार को जिला प्रशासन एक्शन मोड में नजर आया। अपर जिलाधिकारी अभिषेक त्रिपाठी ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 33 और 34 के तहत अग्रिम आदेशों तक तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना के तहत चल रहे सभी निर्माण कार्यों पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी।
वहीं, हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण कार्य भी तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश जारी कर दिए हैं। उधर, नगर पालिका क्षेत्र जोशीमठ में चल रहे सभी तरह के निर्माण कार्यों पर भी पाबंदी लगा दी गई है। अपर जिलाधिकारी ने जोशीमठ के कोतवाल को आदेश दिए हैं कि वह सभी जगहों पर निर्माण कार्यों की रोक को सुनिश्चित करें।
वहीं, एनटीपीसी की विष्णुगाड़-तपोवन जल विद्युत परियोजना की टनल को भी जोशीमठ भू-धंसाव की वजह बताया जा रहा है। इस पर एनटीपीसी ने बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि एनटीपीसी की ओर से जो टनल बनाई जा रही है, वह जोशीमठ शहर के नीचे से नहीं जा रही है। इसका निर्माण टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा है। एनटीपीसी ने किसी भी तरह के विस्फोट से भी इन्कार किया है।
चमोली जिले में धौलीगंगा नदी पर एनटीपीसी की ओर से वर्ष 2006 से 520 मेगावाट की तपोवन विष्णुगाड परियोजना बनाई जा रही है। इसमें 130 मेगावाट की चार पेल्टन टरबाइन और धौलीगंगा नदी पर निर्मित एक बैराज शामिल होगा। यह बैराज 200 मीटर लंबा और 22 मीटर ऊंचा होगा। इसमें 12 मीटर ऊंचे और 14 मीटर चौड़े चार गेट होंगे। जिला प्रशासन की रोक के बाद तपोवन में बैराज साइड निर्माण कार्य और सुरंग के अंदर टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) को निकालने का काम रुक गया है।
सरकार का मानना है कि चारधाम ऑलवेदर रोड के तहत हेलंग-मारवाड़ी बाईपास बनने पर जहां बदरीनाथ धाम की दूरी 30 किलोमीटर कम हो जाएगी तो वहीं चीन सीमा क्षेत्र में सेना की आवाजाही आसान हो जाएगी। जोशीमठ नगर के निचले हिस्से में करीब पांच किलोमीटर तक इसका निर्माण हो रहा है। पूर्व में इसके विरोध में आंदोलन हुआ था और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा था। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने चीन सीमा क्षेत्र तक सेना की आवाजाही को सुगम बनाने का हवाला देते हुए बाईपास निर्माण को जरूरी बताया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण को हरी झंडी दे दी थी। फिलहाल जिला प्रशासन ने इसका निर्माण भी रोक दिया है।
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