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भू-धंसाव के कारण संकट से जूझ रहे जोशीमठ के नरसिंह मंदिर मार्ग में फूटी जलधारा के बढ़े प्रवाह ने फिर चिंता बढ़ा दी है। जोशीमठ के सबसे निचले हिस्से में नगर से करीब नौ किमी दूर बदरीनाथ हाईवे पर मारवाड़ी में स्थित जेपी कॉलोनी में जलधारा दो जनवरी की रात फूटी थी। तब से लगातार मटमैला पानी निकल रहा है। रुड़की स्थित राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिकों ने इस पानी के नमूने भी भरे हैं, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है।
दूसरी ओर जोशीमठ आपदा प्रभावितों के पुनर्वास नीति जारी करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया कि जोशीमठ का अध्ययन रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि कितना क्षेत्र असुरक्षित है। उसी आधार पर पुनर्निर्माण कार्य किए जाएंगे। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा की ओर से जारी शासनादेश में बताया गया कि वर्तमान में केंद्र सरकार के आठ तकनीकी संस्थान जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव का तकनीकी दृष्टि से परीक्षण कर रहे हैं।
उन संस्थानों की तकनीकी रिपोर्ट से यह तय हो पाएगा कि जोशीमठ का कितना क्षेत्र असुरक्षित घोषित किया जाएगा।
इसी रिपोर्ट से यह भी तय होगा कि कितने परिवारों को विस्थापित किया जाएगा। साथ ही जोशीमठ में पुनर्निर्माण और आपदा प्रबंधन के कार्यों के संबंध में भी तकनीकी संस्थान ही समाधान बताएंगे।
भूमि का मुआवजा तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट आने के बाद तय किया जाएगा। इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट की अगली बैठक में रखा जाएगा।
व्यावसायिक भवनों का मुआवजा पांच स्लैब मेंतय दरों के आधार पर आने वाली प्रभावित भवन की लागत में से प्रभावित भवन के मूल्यह्रास की धनराशि को घटाने के बाद शेष धनराशि का मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा दुकान और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (होटल, ढाबे आदि) के मुआवजे के लिए पांच स्लैब तय किए गए हैं।
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