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वर्ष 1988-89 में यूपी सरकार ने सिंचाई विभाग को हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण की स्वीकृति दी थी। तब सड़क कटिंग का काम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने शुरू किया था लेकिन स्थानीय लोगों ने बाईपास का विरोध शुरू कर दिया। तब लोगों ने तर्क दिया था कि यदि इस बाईपास का निर्माण हो गया तो जोशीमठ में पर्यटन व तीर्थाटन गतिविधियां ठप पड़ जाएंगी।
वर्ष 1991 में रामकिशन सिंह रावत के नेतृत्व में स्थानीय लोग सड़क के विरोध में उच्च न्यायालय इलाहबाद गए और न्यायालय से इस पर रोक लग गई। तब बाईपास का निर्माण ठप पड़ गया था। ऑलवेदर रोड परियोजना कार्य के तहत 2021 में केंद्र सरकार ने फिर से हेलंग बाईपास के निर्माण को हरी झंडी दी।
2022 के जुलाई माह में सरकार ने बाईपास निर्माण के लिए 190 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी जिसके बाद अगस्त माह से निर्माण कार्य शुरू हो गया। बाईपास निर्माण के लिए अभी तक एक किमी की ही कटिंग हुई है। बीआरओ ने बाईपास निर्माण पूरा करने के लिए तीन साल का लक्ष्य रखा है। यानि 2025 में इस बाईपास का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना है लेकिन इस बार भी स्थानीय लोगों ने निर्माण का जबरदस्त विरोध किया।
जोशीमठ के भू-धंसाव के लिए भी लोग बाईपास निर्माण को कारण मान रहे हैं जिसे देखते हुए जिला प्रशासन ने फिलहाल बाईपास निर्माण पर रोक लगाई है। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत सिन्हा ने आईआईटी रुड़की को जियो टेक्निकल सर्वे कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। यदि रिपोर्ट में निर्माण कार्य को सही बताया गया तो बाईपास निर्माण कार्य फिर शुरू कर दिया जाएगा।
हिल कटिंग बंद, छोटे कार्य जारी
जोशीमठ भू-धंसाव का असर ऑलवेदर रोड परियोजना कार्य पर भी हुआ है। हेलंग से बदरीनाथ धाम तक ऑलवेदर रोड परियोजना कार्य भी धीमा हो गया है। बीआरओ ने क्षेत्र में हिल कटिंग कार्य फिलहाल बंद कर दिया है। हेलंग-जोशीमठ मार्ग पर भी चल रहे हिल कटिंग कार्य को रोक दिया गया है जबकि मारवाड़ी से कंचन गंगा तक जगह-जगह हो रहे हिल कटिंग कार्य को भी रोक दिया गया है।
बीआरओ की कमान अधिकारी मेजर आइना ने बताया कि हनुमान चट्टी के समीप हिल कटिंग कार्य किया जाना था जो फिलहाल बंद कर दिया गया है। अभी बाईपास पर सिर्फ दीवार, ब्रिज व नाली निर्माण कार्य किया जा रहा है। जोशीमठ से मारवाड़ी तक जहां-जहां हाईवे क्षतिग्रस्त हो गया था, उनका सुधारीकरण कार्य किया जा रहा है।
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