Karakat Lok Sabha : उपेंद्र कुशवाहा की सीट पवन सिंह की मजबूरी या रणनीति; यही निर्णय अंतिम तो भाजपा भी घिरेगी

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Bihar News : Why Pawan Singh announced Karakat LokSabha fight against Upendra Kushwaha lok sabha election 2024

काराकाट ही अंतिम फैसला होगा, इसपर अभी संदेह क्यों है?
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल

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भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह ने आसनसोल सीट पर शॉटगन शत्रुघ्न सिन्हा के सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने से मना कर दिया और अब जब वह सीट हाथ से निकल गई तो चौंकाते हुए बिहार की काराकाट सीट से चुनाव का एलान कर दिया। क्यों? काराकाट ही क्यों? क्या सिर्फ भोजपुरी प्रशंसकों का क्षेत्र होने के कारण? उस हिसाब से तो वह अपनी पसंदीदा आरा सीट से भी चुनाव लड़ सकते थे। या, उस हिसाब से बक्सर भी बुरा विकल्प नहीं। लेकिन, इन दो विकल्पों को नकार रोहतास जिले के काराकाट संसदीय क्षेत्र की घोषणा करना बहुत बड़ा बवाल है। क्योंकि यह इकलौती सीट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा के लिए छोड़ी थी।

क्या संदेश है इस घोषणा का

भाजपा से जुड़े पवन सिंह बगावत कर काराकाट से उतर गए तो उसी तरह का संदेश जाएगा, जैसा 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड के खिलाफ चिराग पासवान की पार्टी के प्रत्याशियों के उतरने पर गया था। काराकाट सीट महागठबंधन में भारतीय कॉम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (लिबरेशन) के खाते में है। वह पवन सिंह को टिकट दे या यह खुद जाएं- इसकी उम्मीद नहीं के बराबर है। ऐसे में काराकाट से पवन सिंह के पास निर्दलीय या बसपा जैसी पार्टियों का ही विकल्प है। निर्दलीय उतरने के बावजूद वह भोजपुरी बोली वाले वोटरों को तोड़ने में कामयाब रहेंगे, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, जातिगत आधार पर भी पवन सिंह एनडीए का ही वोट काटेंगे। यही कारण है कि पवन सिंह की इस घोषणा से एनडीए में बेचैनी और महागठबंधन में राहत का माहौल है। भाजपा के कुछ दिग्गजों ने इस सवाल पर नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि इससे गलत संदेश जाएगा, इसलिए पवन सिंह को मनाने का प्रयास किया जाएगा। अगर पवन सिंह अडिग रह गए तो कुशवाहा का असहज होना स्वाभाविक है। ऐसे में इसे पवन सिंह की मजबूरी से ज्यादा भाजपा की रणनीति कहा जाएगा, जो एनडीए के लिए मुसीबत वाला होगा।

जदयू सांसद का टिकट कटा था

काराकाट लोकसभा सीट रोहतास जिले में है। यहां से 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाईटेड के महाबली सिंह ने तब महागठबंधन में रहे उपेंद्र कुशवाहा को लगभग 85 हजार मतों से हराया था। इस बार कुशवाहा वापस एनडीए में हैं और उनकी पसंदीदा काराकाट सीट भाजपा ने जदयू से लेकर उन्हें दी। मतलब, यहां से जदयू के सांसद बेटिकट हुए। पिछली जीत के आधार पर कह सकते हैं कि इस सीट पर एनडीए का प्रभाव है और पिछली हार के आधार पर कहा जा सकता है कि उपेंद्र कुशवाहा का अपना अस्तित्व भी यहां मजबूत है। ऐसे में कुशवाहा के सामने कौन है, इससे ज्यादा फर्क उन्हें नहीं पड़ेगा- ऐसा भी दावा हो सकता है। वैसे, इससे ज्यादा फर्क इस बात से पड़ेगा कि पवन सिंह अपने प्रभाव वाली भाजपाई सीटों को छोड़ एनडीए के सहयोगी और इकलौती सीट पर लड़ने का मौका हासिल करने वाले कुशवाहा को परेशान करने उतर रहे हैं।

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