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करवाचौथ
– फोटो : संवाद
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करवाचौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को होगा। इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सनातन धर्म में व्रत,पर्वो एवं त्योहारों की मान्यता अधिक है। इस वर्ष करवाचौथ का व्रत 1 नवंबर को होगा। उपवास सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है।
इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और उनका गृहस्थ जीवन सुखद रहे। इसके लिए व्रत करती हैं। पूरे भारत में इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत खासकर जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा,राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश में तो इस त्योहार की अलग ही महत्व है।
महंत रोहित शास्त्री ने बताया सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए उपवास रखने के बाद आसमान में चमकते चांद का दीदार कर अपने पति के हाथों से निवाला खाकर अपना उपवास खोलती हैं। करवाचौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पहले ही 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है और रात को चंद्रदर्शन के बाद ही व्रत को खोला जाता है।
इस दिन श्रीगणेश, शिव, माता पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और चंद्रदेव की पूजा अर्चना की जाती है। विवाह के बाद 12 या 16 साल तक लगातार इस उपवास को किया जाता है लेकिन इच्छानुसार जीवनभर भी विवाहिताएं इस व्रत को कर सकती हैं।
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