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Kasganj: पुलिस ने एक दर्जन तीतरबाजों को दबोचा, पक्षियों को लड़ाकर लगाते हैं दांव
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
उत्तर प्रदेश के कासगंज में शनिवार को पुलिस ने 12 तीतरबाजों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में सामने आया कि हर माह 21 तारीख को तीतरबाज एकत्र होते हैं। फिर तीतरों को लड़ाकर दांव लगाते हैं। पुलिस को मौके से 20 तीतर बरामद हुए हैं। साथ ही जुआ में लगाए गए 19 हजार रुपये भी बरामद हुए हैं।
मामला पटियाली थाना क्षेत्र के चौक मोहल्ले का है। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि आरिफ के मकान में जुआ होता है। इसमें जनपद के अलावा बदायूं, फर्रुखाबाद आदि जिले के तीतरबाज जुटते हैं। यह जुआ हर माह की 21 तरीख को होता है। सूचना पर पुलिस ने बताई गई जगह पर छापेमारी की।
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छापेमारी के दौरान पुलिस ने मौके से आरिफ के अलावा जगदीश निवासी लाली नगला मलिकपुरा सोरों, विजय सिंह निवासी धर्मपुर सुन्नगढी, राजू निवासी बदरिया सोरों, रामदुलारे निवासी म्याऊं सिकंदरपुर वैश्य, मुन्नालाल निवासी उतरना सिढ़पुरा, निरोत्तम दास निवासी देवी नगला पटियाली, इस्लाम निवासी मुर्गश, कादरचौक बदायूं, रियाजुल हसन निवासी सिकंदरपुर खास, करियल फर्रुखाबाद, निर्दोष निवासी कपोडा कादरचौक बदायूं, खुर्शीद, आलय निवासी बाबलपुर मित्तनी थाना कंपिल फर्रुखाबाद को दबोचा।
थाना प्रभारी गोविंद वल्लभ ने बताया कि पुलिस को शनिवार को तीतर लड़ाने की सूचना मिली थी। इसके आधार पर पुलिस ने छापेमारी की कार्रवाई की। मौके से 12 आरोपी पकड़े गए। अब इन आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा। तब तक पुलिस तीतरों के लिए दाने पानी की व्यवस्था करेगी। कोर्ट का जो भी आदेश होगा, आगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
किसान हितैषी होता तीतर
तीतर पक्षी किसानों का सहायक पक्षी माना जाता है। तीतर अपना घोंसला जमीन पर ही बनाता है। यह घोंसला घास से बना होता है। यह जमीन पर मिलने वाले कीट, पतंगे, कीड़े-मकोड़ों को खाता है। इससे किसानों के फसल की रक्षा होती है। झाड़ियों पर लगने वाली बेरी, दीमक और चींटियों को भी खा जाता है।
तीतर की होती हैं 40 से अधिक प्रजाति
तीतर की 40 से अधिक प्रजातियां होती हैं। तीतर ज्यादातर झाड़ियों में रहना पसंद करते है। यह अफ्रीका, यूरोप, एशिया का निवासी पक्षी है। तीतर विभिन्न रंगों में पाये जाते है। ये रंग बिरंगे और काले भी होते है। यह सफेद रंग में भी मिलता है।भारत मे इस पक्षी की काले और भूरे रंग की प्रजाति मिलती है।
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डीएफओ दिलीप श्रीवास्तव ने बताया कि तीतर प्रतिबंधित श्रेणी का पक्षी है। इसकी प्रजाति तेजी से लुप्त हो रही है। इसको पालना या मारना अपराध की श्रेणी में आता है।
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