[ad_1]

शिमला में गरजे किसान।
– फोटो : अमर उजाला
ख़बर सुनें
विस्तार
केंद्र सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी की है। सरकार ने झूठ बोलकर किसानों का आंदोलन खत्म करवाया, लेकिन अब एकजुट होकर दोगुनी ताकत के साथ फि र से आंदोलन होगा। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले शनिवार को किसानों के राजभवन मार्च को संबोधित करते हुए हिमाचल किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने यह बात कही। इस दौरान राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को आठ सूत्री मांगपत्र भी भेजा गया। उन्होंने कहा कि आंदोलन समाप्त करते हुए सरकार ने किसानों से जो वायदे किए थे, अब केंद्र सरकार उन पर कोई कदम नहीं उठा रही है। विधायक राकेश सिंघा ने कृषि संकट के लिए सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वह इन नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ें।
शनिवार सुबह प्रदेशभर से आए किसान पंचायत भवन में जुटना शुरू हुए और 12 बजे किसानों का जुलूस केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए राजभवन निकला। राजभवन में आयोजित सभा को किसान सभा महासचिव डॉ. ओंकार शाद, विधायक राकेश सिंघा, सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर और संयुक्त किसान मंच के सह संयोजक संजय चौहान ने संबोधित किया। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय मांगों के साथ कृषि पर सब्सिडी बहाल करने, सेब की पैकेजिंग सामग्री से जीएसटी खत्म करने, जंगली जानवरों, लावारिस पशुओं से निजात, फल-सब्जियों, अनाजों पर समर्थन मूल्य देने की मांग और भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच जैसी हिमाचल की मांगें भी उठाई।
ज्ञापन में उठाई हैं यह मांगें
– स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों पर एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए।
– किसानों के सभी तरह के कर्ज माफ किए जाएं।
– बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए।
– लखीमपुर खीरी के साजिशकर्ता केंद्रीय मंत्री को बर्खास्त कर जेल भेजा जाए।
– लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जेल में कैद निर्दोष किसानों को तुरंत रिहा किया जाए।
– सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि, फ सल रोग से नुकसान की पूर्ति के लिए फ सल बीमा लागू करें।
– सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को 5000 प्रति माह किसान पेंशन दी जाए।
– किसान आंदोलन में किसानों पर किए फ र्जी मुकदमे तुरंत वापस लिए जाएं।
– किसान आंदोलन में शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
[ad_2]
Source link