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– फोटो : अमर उजाला
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देश में गांवों के मुकाबले शहरों का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले काम से विकास की गंगा के साथ ही जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरे भी बढ़े हैं। प्रदेश में शहरी ताप नियंत्रण नीति के लागू करने के लिए लविवि अपने सुझाव देगा। इसके लिए लविवि के विधि संकाय के शिक्षक डॉ. वरुण छाछड़ को 15 लाख रुपये का प्रोजेक्ट मिला है।
इंडियन कौंसिल फॉर सोशल साइंस रिसर्च (आईसीएसएसआर) के इस प्रोजेक्ट के तहत अर्बन हीट लैंड के प्रभावों से पर्यावरण को होने वाले नुकसानों का आकलन किया जाएगा। डॉ. छाछड़ ने बताया कि शहरीकरण की प्रतिस्पर्धा में हमारे नगरीय निकाय पर्यावरण संबंधी समस्याओं का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। इसके चलते कूड़ा प्रबंधन समेत कई विकट समस्याओं के साथ ही जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरे बढ़ रहे हैं। अभी तक प्रदेश में इस तरह की कोई पाॅलिसी नहीं है।
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पर्यावरण प्रबंधन जैसे गंभीर विषय को समझने के लिए हमें यूरोप के देशों की तर्ज पर अर्बन हीट पॉलिसी लागू करनी होगी। प्रदेश की स्थिति और संसाधनों को देखते हुए हम किस तरह से कोई नीति लागू कर सकते हैं, इस पर विचार करने के लिए पर्याप्त डाटा और विश्लेषण की जरूरत है। इसीलिए इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव दिया गया था। अब इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई है।
चार स्मार्ट सिटीज से जुटाएंगे आंकड़े
प्रो. वरूण काचर ने बताया कि शहरी ताप नियंत्रण के लिए नीति बनाने में सहयोग करने वाली अध्ययन रिपोर्ट को तैयार करने में चार शहरों से आंकड़े जुटाए जाएंगे। इसमें आगरा, अलीगण, वाराणसी व लखनऊ स्मार्ट सिटी शामिल होंगे। यहां पर नगरीय निकायों के कूड़ा प्रबंधन, बढ़ते शहरीकरण से कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहे शहर के कई अन्य पहलुओं को जुटाया जाएगा। अध्ययन का मकसद है कि हमारे शहर सिर्फ नाम के लिए स्मार्ट न हों, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी स्मार्ट साबित हों।
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