Lucknow: सेवारत पत्नी से अलग हुए पति के तबादले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, ये था प्रमुख कारण

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Lucknow court stays the order of transfer which was done in less than six months.

– फोटो : सोशल मीडिया

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पीडब्ल्यूडी में कार्यरत पति का तबादला उन्नाव से वापस कानपुर नगर किए जाने के आदेश के अमल पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने यह आदेश प्रफुल्ल श्रीवास्तव की याचिका पर दिया। 

याची ने बीते 19 व 20 दिसंबर के तबादला आदेश को चुनौती दी थी। याची का कहना था कि उसके अनुरोध पर जुलाई में उसका तबादला कानपुर नगर से उन्नाव किया गया था। उन्नाव में ही सरकारी सेवारत उनकी पत्नी का भी तबादला हुआ था। इसके तहत याची ने भी पत्नी के साथ उन्नाव में कार्यभार ग्रहण कर लिया। छह महीने बाद याची के पहले का तबादला आदेश रद्द कर दिया गया। साथ ही यह कहते हुए वापस उसका स्थानांतरण कानपुर नगर कर दिया गया कि पहले किए गए तबादले सरकार की नीति से 10 फीसदी अधिक थे। 

याची के अधिवक्ता का कहना था कि छह महीने में तबादला नहीं किया जा सकता है। यह भी दलील दी कि याची का तबादला निरस्त किया जाना भी सरकार की नीति के खिलाफ  था। उधर, सरकारी वकील ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने चार हफ्ते का वक्त दिया। मामले में अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी। तब तक कोर्ट ने याची के तबादला आदेशों के अमल पर रोक लगा दी है।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पीडब्ल्यूडी में कार्यरत पति का तबादला उन्नाव से वापस कानपुर नगर किए जाने के आदेश के अमल पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने यह आदेश प्रफुल्ल श्रीवास्तव की याचिका पर दिया। 

याची ने बीते 19 व 20 दिसंबर के तबादला आदेश को चुनौती दी थी। याची का कहना था कि उसके अनुरोध पर जुलाई में उसका तबादला कानपुर नगर से उन्नाव किया गया था। उन्नाव में ही सरकारी सेवारत उनकी पत्नी का भी तबादला हुआ था। इसके तहत याची ने भी पत्नी के साथ उन्नाव में कार्यभार ग्रहण कर लिया। छह महीने बाद याची के पहले का तबादला आदेश रद्द कर दिया गया। साथ ही यह कहते हुए वापस उसका स्थानांतरण कानपुर नगर कर दिया गया कि पहले किए गए तबादले सरकार की नीति से 10 फीसदी अधिक थे। 

याची के अधिवक्ता का कहना था कि छह महीने में तबादला नहीं किया जा सकता है। यह भी दलील दी कि याची का तबादला निरस्त किया जाना भी सरकार की नीति के खिलाफ  था। उधर, सरकारी वकील ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने चार हफ्ते का वक्त दिया। मामले में अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी। तब तक कोर्ट ने याची के तबादला आदेशों के अमल पर रोक लगा दी है।



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