Ludhiana: लुधियाना के सूद बंधुओं पर दर्ज धोखाधड़ी का केस इलाहबाद हाईकोर्ट ने किया रद्द, जानें पूरा मामला

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(सांकेतिक तस्वीर)

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– फोटो : सोशल मीडिया

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उत्तराखंड स्थित श्री बद्रीनाथ धाम में मई 2018 में छत्र चढ़ाने वाले लुधियाना के मुक्त आर्ट के मालिक ज्ञानेश्वर सूद और उनके भाई योगेश्वर सूद पर यूपी के मथुरा स्थित थाना कोतवाली में दर्ज धोखाधड़ी के मामले को इलाहबाद हाईकोर्ट ने रद्द करने के आदेश जारी कर दिए हैं। साढ़े चार साल से ज्यादा चली लंबी लड़ाई के बाद सूद बंधुओं को बड़ी राहत मिली है। अब सूद बंधु उन पर आरोप लगाने वाले कान्हा ज्वैलर्स के मालिक प्रवीण अग्रवाल और उनके भाईयों पर कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी में हैं।

31 अगस्त 2019 को मथुरा के थाना कोतवाली में ज्ञानेश्वर सूद और उनके भाई योगेश्वर सूद पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था। मामला दर्ज करवाने वाले पीके एंड पीके ज्वैलर्स और कान्हा जेम्स एंड आर्ट गैलरी के मालिक प्रवीण अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि जो श्री बद्रीनाथ धाम में छत्र चढ़ाया गया था। वह सूद बंधुओं के आर्डर पर उन्होंने तैयार किया था लेकिन सूद बंधुओं ने उन्हें छत्र के पैसे नहीं दिए थे। कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद दोनों भाइयों पर लगे आरोप गलत पाए गए। हाईकोर्ट ने मामला रद्द करने के आदेश जारी कर दिए।

ज्ञानेश्वर सूद और योगेश्वर सूद ने बताया कि उनकी मुक्त आर्ट के नाम से कंपनी है और वे हाई लेवल इंटीरियर का काम किया जाता है। सूद बंधुओं ने कहा कि मई 2017 में उन्हें प्रवीण अग्रवाल और उनके भाईयों ने अपने बंगले के लिए इंटीरियर का काम करने का आर्डर दिया था। पूरे बंगले में करीब साढ़े नौ करोड़ का काम होना था। चौबीस महीने में काम खत्म करने का एग्रीमेंट हुआ था और 24 महीने में ही पूरी पेमेंट 9.5 करोड़ रुपये देने की बात हुई थी। अग्रवाल परिवार से उनकी मुलाकात वृंदावन के पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज के जरिए थी। 

ज्ञानेश्वर के मुताबिक वह अपनी स्पीड के मुताबिक काम कर रहे थे, लेकिन प्रवीण अग्रवाल परिवार की तरफ से उन्हें पैसों का भुगतान नहीं हो रहा था। उन्होंने 11 महीने में सिर्फ एक करोड़ दस लाख रुपये उन्हें दिए। बाद में जोर देने पर उन्हें दस लाख रुपये ओर खाते में डाल दिए। जब उन्होंने पैसे कम होने की बात की तो फोन पर ही प्रवीण अग्रवाल परिवार ने एग्रीमेंट रद्द बोल दिया। वह काफी परेशान हुए कि वह अपनी पूंजी में से काम कर चुके हैं और अब अग्रवाल परिवार आर्डर रद्द कर रहा है। उन्होंने एक साल तक इसका इंतजार किया। एक साल बाद पता चला कि अग्रवाल परिवार ने काम बाहर से करवा लिया है और वह नए घर में शिफ्ट हो रहे है। उन्होंने अग्रवाल परिवार को एक कानूनी नोटिस भेजा। जिसके बाद उन्होंने जो नोटिस का जवाब भेजा उसमें कोई छत्र का जिक्र नहीं था। उन्होंने छत्र का कोई आर्डर दिया ही नहीं था तो जिक्र कहां से आना था। 

31 अगस्त को थाना मथुरा में उनके खिलाफ शिकायत कर दी गई और पुलिस ने भी बिना जांच किए उनका पक्ष सुने बिना ही मामला दर्ज कर दिया। उसके बाद उत्तरप्रदेश पुलिस उन्हें ढूंढती रही। उनके भाई को जबरदस्ती घर से उठा लिया गया। मगर वह हिम्मत के साथ कानूनी लड़ाई लड़ते रहे। अब साढ़े चार साल बाद सभी तथ्यों को देखते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट ने मामला रद्द करने के आदेश जारी कर दिए। ज्ञानेश्वर सूद ने कहा कि वह अपने नुकसान की भरपाई के लिए लुधियाना अदालत के जरिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे है। इसके अलावा अब अपनी टीम के साथ कानूनी राय करने के बाद आगे की कार्रवाई जरूर करेंगे। ज्ञानेश्वर सूद ने कहा कि उन्होंने जो गलत काम किया नहीं चार साल तक उसकी सजा भुगती है। अब इंसाफ यहां मिला है तो आगे भी इंसाफ जरुर मिलेगा। 

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