महाराष्ट्र की राजनीति ने इस वक्त मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके साथ गए नेताओं को फिलहाल दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। क्योंकि जिन अजित पवार के वित्त मंत्री रहते हुए एमवीए गठबंधन से एकनाथ शिंदे और उनके विधायकों ने अलग होने का निर्णय लिया था। अब फिर से अजीत पवार के उपमुख्यमंत्री बनने और मिलने वाले मंत्रालय को लेकर आपसी तकरार होनी शुरू हो गई है। फिलहाल एकनाथ शिंदे और उनकी पूरी कैबिनेट के मंत्रियों ने एक बार बुधवार दोपहर को बड़ी बैठक की। महाराष्ट्र सियासी हालात इस कदर के उफान पर है कि सीएम एकनाथ शिंदे ने बुधवार के ज्यादातर जरूरी कार्यों को रद्द कर दिया।
महाराष्ट्र में सियासी संकट पिछले साल तब आना शुरू हुआ था, जब एमवीए (महाविकास अघाड़ी) सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए अजित पवार के ऊपर शिवसेना के विधायकों ने बजट न देने का आरोप लगाना शुरू किया था। राजनीतिक विश्लेषक हिमांशु शितोले कहते हैं कि पुरानी सरकार में बगावत की शुरुआत ही अजित पवार को लेकर शुरू हुई थी। वह कहते हैं कि कई विधायकों ने आरोप लगाने शुरू किए थे कि अजित पवार के वित्त मंत्री रहते हुए वह शिवसेना के विधायकों को विकास कार्य का बजट नहीं दे रहे हैं। जबकि एनसीपी के विधायकों को अजित पवार न सिर्फ समय रहते बजट जारी कर रहे हैं, बल्कि अतिरिक्त बजट भी देकर शिवसेना को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले को लेकर विरोध इतना ज्यादा बढ़ा कि एकनाथ शिंदे ने पार्टी में बगावत करते हुए अपने साथ 40 से ज्यादा विधायकों को जोड़कर एमवीए की सरकार को गिरा दिया था।
शिंदे के विधायकों और मंत्रियों ने जताया विरोध
महाराष्ट्र के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके सभी विधायक समेत मंत्री उस दोराहे पर आकर खड़े हो गए हैं, जहां सियासत की कई अलग-अलग राहें जा रही हैं। हिमांशु कहते हैं कि एकनाथ शिंदे के लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह आ रही है कि जिस नेता का विरोध करके अपनी सरकार से बगावत कर आए थे, उनके साथ आखिर आपसी सामंजस्य कैसे बिठाएंगे। इसको लेकर बीते कुछ दिनों से पार्टी के नेताओं और मंत्रियों ने एकनाथ शिंदे से अपना विरोध भी दर्ज किया था। एकनाथ शिंदे की पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि वह इस बात को लेकर आपत्ति अपने नेता से दर्ज करा चुके हैं कि अजित पवार के साथ अब दोबारा काम करने में असहजता महसूस होगी। लगातार विधायकों की ओर से उठाई जा रही आवाज को लेकर बुधवार को एकनाथ शिंदे ने अपनी पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ बड़ी बैठक की। हालांकि बुधवार को हुई बैठक में निर्णायक फैसला तो कोई नहीं लिया गया। लेकिन पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इस मामले में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
फिर मिल सकता है अजीत पवार को वित्त मंत्रालय
महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से समझने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अभी यहां के राजनीतिक हालात और कठिन होने वाले हैं। खास तौर से एकनाथ शिंदे और उनके साथ आए विधायकों के लिए परिस्थितियां और कठिन होने वाली हैं। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषण हेमेंद्र भिड़े कहते हैं कि अजित पवार को उपमुख्यमंत्री तो बना दिया गया है, लेकिन अभी उनके पास कोई मंत्रालय नहीं दिया गया है। वह कहते हैं महाराष्ट्र सरकार में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास दो महत्वपूर्ण मंत्रालय पहले से हैं। इसमें एक मंत्रालय वित्त और दूसरा गृह मंत्रालय है। भिड़े कहते हैं कि मंत्रिमंडल के बंटवारे के दौरान अगर देवेंद्र फडणवीस के पास से वित्त मंत्रालय अजीत पवार को दोबारा मिलता है, तो एकनाथ शिंदे समेत उनके सभी विधायकों और मंत्रियों के लिए बहुत ही असहज की स्थिति हो सकती है। क्योंकि वित्त मंत्रालय पहले भी अजित पवार के पास था। उसी वित्त मंत्रालय पर बजट न जारी करने का आरोप लगाते हुए एकनाथ शिंदे और शिवसेना के अन्य विधायकों ने अजित पवार के खिलाफ बिगुल फूंक कर सरकार गिरा दी थी।
एकनाथ शिंदे ने अपने कई कार्यक्रमों को किया रद्द
महाराष्ट्र में मची सियासी उथल-पुथल को देखते हुए मुख्यमंत्री का शिंदे ने बुधवार को अपने कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को रद्द कर दिया। एकनाथ शिंदे के पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बुधवार दोपहर को पार्टी मुख्यालय पर एकनाथ शिंदे ने अपने अहम पदाधिकारियों, नेताओं, विधायकों और सांसदों के साथ बैठक की। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा चिंता इस बात की जताई गई कि उनके नेताओं का अब महाराष्ट्र की राजनीति में भविष्य किस दिशा की ओर जा रहा है। हालांकि एकनाथ शिंदे की पार्टी से जुड़े वरिष्ठ दामोदर राववासिल कहते हैं कि उनके नेताओं ने इस दौरान इस बात का भी भरोसा दिया कि उनकी भाजपा के प्रमुख नेताओं से लगातार बातचीत चल रही है। किसी भी नेता को बेवजह किसी भी मामले में तूल देने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि इस पूरे मामले में आप पार्टी के नेता शनिवार को एक और बड़ी बैठक करने वाले हैं। सूत्रों का कहना है तब तक अजीत पवार को मिलने वाले मंत्रालय की भी जानकारी हो जाएगी।