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                        मूंछाें वाले महादेव
                                    – फोटो : अमर उजाला 
                    
विस्तार
हाथरस में अविनाशी शिव के कई प्राचीन मंदिर हैं। शहर में कई शिवालय ऐसे हैं, जहां प्रतिदिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है। महाशिवरात्रि को लेकर पूरी नगरी भोलेनाथ के रंग रंगना शुरू हो गई है। शिवालयों की विशेष सजावट की गई है, तो सदाशिव को गंगाजल अर्पित करने के लिए कांवड़िये के जत्थे गंगाघाट पर रवाना हो चुके हैं। मान्यता है कि शिव को सच्चे मन से जल अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर आज आपको शहर के दो प्राचीन मंदिरों से परिचय कराते हैं…
मूंछो वाले शिवजी की बरस रही कृपा
अलीगढ़ रोड पर एलआईसी कार्यालय के पीछे स्थित कैलाश महादेव मंदिर की अपनी अलग पहचान है। इस मंदिर को मूछों वाले भोलेनाथ के मंदिर के नाम से भी पहचाना जाता है। मंदिर के पुरानी मंजू तिवारी ने बताया कि यह मंदिर करीब 250 वर्ष पुराना है। उनकी तीसरी पीढ़ी मंदिर की सेवा में लगी हुई है। सावन माह के एक सोमवार को यहां सर्पो के श्रृंगार किए जाते हैं।
मंदिर में भगवान शिव की मूछों वाली मूर्ति स्थापित है। लोग शिव की मूछों वाली मूर्ति देखकर आश्चर्य करते हैं। उन्हें बताया कि कई लोग यहां प्रचाीन परंपराओं को निभाने के लिए शिव दरबार में आते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने भर से ही भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। हर रोज काफी भक्त दरबार में हाजिरी लगाने के लिए आते हैं।

नमृदा से लाया गया शिवलिंग और बना गोपेश्वर महादेव मंदिर
गोपेश्वर महादेव मंदिर बागला मार्ग पर रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। मान्यता है कि मंदिर की स्थापना लगभग 15 दशक पहले हुई थी। पुजारी निरंजन प्रसाद भारद्वाज ने बताया कि गोपेश्वर महादेव के शिवलिंग को नर्मदा नदी से लाया गया था। शिवलिंग की स्थापना के बाद ही यहां गोपेश्वर नाथ मंदिर बनवाया गया।
मान्यता है कि जो कोई लगातार 21 सोमवार महादेव का दुग्धाभिषेक करता है। उसकी हर छोटी बड़ी मनोकामना पूरी होती है। इसलिए सोमवार यहां गोपेश्वर भगवान के दर्शन के लिए भक्तों की कतार लगी रहती है। मंदिर परिसर में शिव परिवार की प्रतिमाएं स्थापित हैं। महाशिवरात्रि पर मनोहारी आयोजनों के अलावा श्रावण मास व महाशिवरात्रि में भव्य आयोजन गोपेश्वर दरबार में होते हैं।
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