Makar Sankranti Kab Hai: 13 को लोहड़ी, 14 को पोंगल व 15 को मनायी जायेगी मकर संक्रांति

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  • 15 को सुबह 5: 27 बजे सूर्य का धनु से मकर राशि में होगा प्रवेश

Makar Sankranti Kab Hai: मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 14 की जगह 15 जनवरी को मनाया जायेगा. इस संबंध में पंडित गुणानंद झा ने बताया कि 14 जनवरी तक खरमास है. 15 को सुबह पांच बजकर 27 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इस दिन से सूर्य धरती के उत्तरी गोलार्ध में आ जाता है. इसलिए इसे उत्तरायण पर्व भी कहा जाता है. उदया तिथि की मान्यता होने के कारण मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाना शुभ है. शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब तक मकर राशि में प्रवेश नहीं करते तब तक मकर संक्रांति का पर्व नहीं मनाना चाहिए. मकर संक्रांति पर्व पर स्नान, ध्यान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इस दिन दान-पुण्य करने से ग्रह दोष समाप्त होते हैं. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास समाप्त हो जायेगा.

शुरू होंगे मांगलिक कार्य

15 जनवरी को खरमास खत्म होते ही शुभ कार्य शुरू हो जायेंगे. इसके साथ ही गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन एवं सभी तरह के मांगलिक कार्य शुरू होंगे.

दान पुण्य का है विशेष महत्व

मकर संक्रांति के दिन पानी में गंगाजल, तिल मिलाकर स्नान करने की परंपरा है. इस दिन दान पुण्य का विशेष महत्व है. तीर्थ स्नान व गंगा स्नान करना चाहिए. जरूरतमंदों को दान देना चाहिए. इससे पापों से मुक्ति मिलती है.

लोहड़ी पर जमेगी भांगड़ा-गिद्दा की धूम

पंजाबी समुदाय का खास त्योहार लोहिड़ी 13 जनवरी को है. कोयलांचल में बसे सिख परिवार 13 जनवरी को लोहिड़ी मनायेंगे. शक्ति मंदिर में इस दिन लोहड़ी जलायी जायेगी. इसमें रेवड़ी बादाम, तिल, गुड़ डालकर फेरे लिए जायेंगे. भांगड़ा व गिद्दा की धूम मचेगी. शक्ति मंदिर में आयोजित होने वाले लोहड़ी कार्यक्रम का इंतजार पंजाबी समुदाय के साथ अन्य लोग भी बेसब्री से करते हैं.

नये चावल आने की खुशी में बालाजी मंदिर में मनेगा पोंगल

धनबाद कोयलांचल में बसे आंध्र प्रदेश के परिवार 14 जनवरी को पोंगल मनायेंगे. इस दिन शाम को बालाजी मंदिर जगजीवन नगर में पोंगल की खुशियां मनायी जायेंगी. बालाजी टेंपल कमेटी के एसएन राव बताते हैं नये चावल के आने की खुशी में पोंगल मनाया जाता है. तीन दिन का कार्यक्रम होता है. 13 जनवरी को बोगी मनाया जाता है. अहले सुबह आग जलाकर उसमें गोयठे की माला अर्पित करते हैं. उसी अग्नि में नया चावल पकाया जाता है. 14 जनवरी को नये चावल से कई तरह के डिश बनाकर परिवार संग पोगंल की खुशी मनायी जाती है. 15 को कनगू मनाते हैं. इसमें रिश्तेदारों, मित्रों को खाने पर बुलाया जाता है. एक-दूसरे को उपहार दिये जाते हैं.

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