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शाही स्नान के लिए दशनाम छड़ी यात्रा मणिमहेश रवाना
– फोटो : संवाद
विस्तार
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला प्रशासन ने शनिवार सुबह मणिमहेश यात्रा दोबारा से शुरू कर दी। शुक्रवार शाम बारिश और खराब मौसम को देखते हुए प्रशासन ने यात्रा पर अस्थायी रोक लगाई थी। इसके चलते हड़सर से आगे श्रद्धालुओं को नहीं भेजा जा रहा था। प्रशासन ने श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर रुके रहने के निर्देश दिए थे। शनिवार सुबह जैसे ही बारिश का क्रम रुका और आसमान में बादल छंटे तो प्रशासन ने यात्रा को फिर से सुचारू करवा दिया। शुक्रवार रात को भरमौर में काफी संख्या में श्रद्धालु खराब मौसम के कारण रुके थे। जैसे ही शनिवार को मौसम साफ हुआ तो ये श्रद्धालु हड़सर की तरफ रवाना हुआ। हड़सर में रुके हुए श्रद्धालुओं ने अगले पड़ाव धन्छौ की तरफ भेजा गया। चंबा से भरमौर की तरफ जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या शनिवार को काफी अधिक रही। सुबह से शाम तक बाहरी राज्यों के वाहन श्रद्धालुओं को लेकर चंबा से होकर भरमौर रवाना हुए।खराब मौसम से यात्रा में अस्थायी रोक लगने से श्रद्धालु मायूस हो गए थे। मौसम साफ होते ही श्रद्धालुओं की मायूसी दूर हो गई। अब श्रद्धालु बेरोक मणिमहेश जा रहे हैं। अतिरिक्त उपायुक्त भरमौर नवीन तनवर ने बताया कि मणिमहेश यात्रा पर अस्थाई रोक हटाई जा चुकी है। श्रद्धालु मणिमहेश के लिए यात्रा पर जा सकते हैं। खराब मौसम को देखते हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह रोक लगाई गई थी।
शाही स्नान के लिए दशनाम छड़ी यात्रा मणिमहेश रवाना
उधर, राधाष्टमी के शाही स्नान के लिए दशनाम की पवित्र छड़ी शनिवार को चंबा से मणिमहेश के लिए रवाना हुई। छड़ी के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। एडीएम अमित मेहरा, एसडीएम अरुण शर्मा और तहसीलदार संदीप कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। पवित्र छड़ी यात्रा की अगुवाई दशनाम अखाड़ा के महंत यतिंद्र गिरि ने की। छड़ी को मणिमहेश रवाना करने से पूर्व अखाड़े में विशेष पूजा-अर्चना की गई। इसके उपरांत छड़ी शहर से होते हुए जुलाहकड़ी स्थित राधा-कृष्ण मंदिर पहुंची। जहां पर छड़ी रात्रि विश्राम करेगी। रविवार सुबह अपने अगले पड़ाव के लिए यहां से प्रस्थान करेगी। मंदिर में छड़ी में शामिल साधु-संतों के लिए रहने और खान-पान की व्यवस्था की गई है। इस छड़ी यात्रा में शामिल होने के लिए देश के विभिन्न अखाड़ों से साधु-संत चंबा पहुंचे हैं जोकि छड़ी के साथ मणिमहेश में पवित्र बड़ा शाही स्नान करेंगे। महंत यतिंद्र गिरि ने बताया कि यह छड़ी यात्रा विभिन्न पड़ावों से होकर 23 सितंबर की शाम को डल झील पहुंचेगी जहां पर राधाष्टमी का शाही स्नान किया जाएगा। परंपरा के मुताबिक हर वर्ष दशनाम अखाड़ा से यह छड़ी मणिमहेश जाती है। इसी परंपरा का निर्वहन आज भी किया जा रहा है। इस छड़ी यात्रा के तमाम प्रबंध प्रशासन की ओर से किए जाते हैं।
बीपी और हार्ट के मरीज मणिमहेश यात्रा पर जाने से करें गुरेज: नवीन तनवर
बीपी और हार्ट के मरीज मणिमहेश यात्रा पर न जाएं। क्योंकि ऑक्सीजन की कमी और कड़ाके की ठंड में ऐसे लोगों के लिए यात्रा हानिकारक साबित हो सकती है। इसलिए यात्रा पर जाने से पहले यात्री अपने स्वास्थ्य की जांच अवश्य करवाएं। यह बात अतिरिक्त उपायुक्त भरमौर नवीन तनवर ने प्रेसवार्ता में दी। उन्होंने कहा कि हर वर्ष मणिमहेश यात्रा अगस्त माह में ही संपन्न हो जाती थी। लेकिन इस बार सितंबर माह के अंत में यह यात्रा सुचारू रहेगी। ऐसे में डलझील सहित अन्य पड़ावों पर ठंड काफी हो रही है। मणिमहेश जाने वाले श्रद्धालुओं को गर्म कपड़े अवश्य लेकर जाने चाहिए। क्योंकि ठंड से बचने के लिए गर्म कपडों का होना काफी जरूरी है। चढ़ाई चढ़ते समय यदि पसीना अधिक पड़े तो अचानक कपड़े न उतारें। उन्होंने कहा कि रात के समय यात्रा करना खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए दिन के समय ही यात्रा करें ताकि साफ मौसम में चारों तरफ देखकर यात्रा की जा सके।
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