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– फोटो : amar ujala
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दिल्ली नगर निगम चुनाव में उतरे तीनों दल बेशक आम लोगों की सहूलियत के लिए निगम की सेवाओं को ऑनलाइन करने के दावे कर रहे हैं, लेकिन इस दिशा में चुनौती गंभीर है। इस दिशा में बीते 15 साल की एमसीडी की कोशिशें इसी तरफ इशारा कर रही हैं। हाउस टैक्स जमा करने की सुविधा ऑनलाइन करके 2007 में पहली बार एमसीडी ने इस दिशा में कदम उठाया था। निगम दावा कर रहा है कि अभी तक 54 सेवाओं को इसके दायरे में लाया भी गया है लेकिन इनमें से ज्यादातर की जानकारी न आम लोगों को है और न ही निगम कर्मियों को। निगम की आईटी सेल के पास इस दिशा में काम करने के लिए अभी न कोई तैयारी है और न ही भविष्य की कोई योजना है।
एमसीडी की आईटी सेल के मुताबिक, 54 सेवाएं एनआईसी पोर्टल पर डिजिटल मोड में उपलब्ध हैं। इनमें से करीब दस सेवाएं पिछले दो साल के भीतर ऑनलाइन हुई हैं, जिनमें से ई-ऑफिस, ई-गौरेया, ई-एसबीएम, एचटीएल 2.0, अस्पताल में ई-ओपीडी सेवाएं, विज्ञापन प्रणाली, शिक्षक स्थानांतरण, साइनेज, एमएलएफ और टावर एप्लिकेशन को इसी बीच ऑनलाइन शुरू किया गया है। अधिकारी बताते हैं कि इससे थोड़ा काम आसान हुआ है। जानकारी का विस्तार होते जाने से इससे और ज्यादा लोग भी जुड़ेंगे।
तीनों दलों के दावे
आप : नई बिल्डिंग के नक्शे पास करने की प्रक्रिया होगी ऑनलाइन, सरलीकरण, सभी तरह के लाइसेंस होंगे ऑनलाइन।
भाजपा : 100 दिन के भीतर ई-शासन से जुड़ी सभी सेवाओं को एप पर लाएंगे। सभी सेवाएं होंगी फेसलेस।
कांग्रेस : सभी नागरिक सुविधाओं को किया जाएगा ऑनलाइन। जो सेवाएं बची हुई हैं, उनको प्राथमिकता के आधार पर ऑनलाइन किया जाएगा।
फैक्ट्री लाइसेंसिंग प्रणाली ऑफलाइन
एमसीडी के मुताबिक, फैक्ट्री लाइसेंसिंग प्रणाली अभी ऑफलाइन मोड में ही है। वहीं, ऑनलाइन संपत्तिकर जमा कराना अभी भी बड़ी चुनौती है। ज्यादातर सर्वर फेलियर की समस्या होने से लोगों को संपत्तिकर कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं।
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