MCD Elections : पूर्व पार्षदों पर भरोसा जताने में भाजपा अव्वल, इसके बाद आप और फिर कांग्रेस

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– फोटो : Amar Ujala

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एमसीडी चुनाव में चौथी बार सत्ता हासिल करने की रस्साकशी कर रही भाजपा के पास अनुभवी उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त है। लंबे फासले के साथ दूसरा नंबर आम आदमी पार्टी का है। कांग्रेस के पास सबसे कम अनुभवी उम्मीदवार हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा के करीब एक तिहाई उम्मीदवार पहले पार्षद रहे हैं। वहीं, आप ने सिर्फ 12 फीसदी पुराने पार्षदों पर भरोसा जताया है। जबकि कांग्रेस ने निगम की 250  सीटों में से सिर्फ 12 पूर्व पार्षदों को टिकट दिया है। जानकारों का कहना है कि इसकी बड़ी वजह एमसीडी में पहले भाजपा का सत्तासीन होना है। 

निगम की 250 सीटों में से भाजपा ने 70 उम्मीदवार ऐसे उतारे हैं, जो पहले पार्षद रहे हैं। इनमें से छह पूर्व पार्षद मेयर रह चुके हैं। वहीं, स्थायी समिति के दो पूर्व अध्यक्ष भी चुनाव मैदान में हैं।

इसी तरह नेता सदन व उपमहापौर का कार्य संभालने वाले पूर्व पार्षद भी चुनावी दंगल में किस्मत आजमा रहे हैं। एकीकृत एमसीडी में भाजपा के पार्षद ही नहीं, बल्कि कई महत्वपूर्ण समितियों के अध्यक्ष रहे कई पूर्व पार्षद भी चुनाव मैदान में हैं।

उधर, आप के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पूर्व पार्षदों में केवल एक ही उम्मीदवार को एमसीडी का सबसे अधिक अनुभव है। कांग्रेस से आप में आए यह पूर्व पार्षद एकीकृत एमसीडी में स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे है। इसके अलावा उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके है, जबकि आप के अपने दो पूर्व पार्षद ही एमसीडी के कामकाज से अच्छी तरह वाकिफ है। ये दोनों पूर्व पार्षद उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रह चुके है।

हालांकि, कांग्रेस छोड़कर आप के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कई पूर्व पार्षदों को एमसीडी के कामकाज के संबंध में जानकार माना जाता है, लेकिन वह कई वर्षों के बाद पार्षद बनने के लिए पसीना बहा रहे है। 

एमसीडी चुनाव में चौथी बार सत्ता हासिल करने की रस्साकशी कर रही भाजपा के पास अनुभवी उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त है। लंबे फासले के साथ दूसरा नंबर आम आदमी पार्टी का है। कांग्रेस के पास सबसे कम अनुभवी उम्मीदवार हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा के करीब एक तिहाई उम्मीदवार पहले पार्षद रहे हैं। वहीं, आप ने सिर्फ 12 फीसदी पुराने पार्षदों पर भरोसा जताया है। जबकि कांग्रेस ने निगम की 250  सीटों में से सिर्फ 12 पूर्व पार्षदों को टिकट दिया है। जानकारों का कहना है कि इसकी बड़ी वजह एमसीडी में पहले भाजपा का सत्तासीन होना है। 

निगम की 250 सीटों में से भाजपा ने 70 उम्मीदवार ऐसे उतारे हैं, जो पहले पार्षद रहे हैं। इनमें से छह पूर्व पार्षद मेयर रह चुके हैं। वहीं, स्थायी समिति के दो पूर्व अध्यक्ष भी चुनाव मैदान में हैं।

इसी तरह नेता सदन व उपमहापौर का कार्य संभालने वाले पूर्व पार्षद भी चुनावी दंगल में किस्मत आजमा रहे हैं। एकीकृत एमसीडी में भाजपा के पार्षद ही नहीं, बल्कि कई महत्वपूर्ण समितियों के अध्यक्ष रहे कई पूर्व पार्षद भी चुनाव मैदान में हैं।

उधर, आप के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पूर्व पार्षदों में केवल एक ही उम्मीदवार को एमसीडी का सबसे अधिक अनुभव है। कांग्रेस से आप में आए यह पूर्व पार्षद एकीकृत एमसीडी में स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे है। इसके अलावा उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके है, जबकि आप के अपने दो पूर्व पार्षद ही एमसीडी के कामकाज से अच्छी तरह वाकिफ है। ये दोनों पूर्व पार्षद उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रह चुके है।

हालांकि, कांग्रेस छोड़कर आप के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कई पूर्व पार्षदों को एमसीडी के कामकाज के संबंध में जानकार माना जाता है, लेकिन वह कई वर्षों के बाद पार्षद बनने के लिए पसीना बहा रहे है। 



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