MCD Result: क्या हारने के बाद भी दिल्ली में बन सकता है भाजपा का मेयर? जानें BJP अध्यक्ष क्यों कर रहे ऐसा दावा

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दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं। 15 साल से एमसीडी की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। चुनाव में भाजपा को हराकर आम आदमी पार्टी ने बड़ी कामयाबी हासिल कर ली। 250 में से 134 सीटों पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली है। वहीं, भाजपा के 104 प्रत्याशी चुनाव जीत गए। नौ सीटों पर कांग्रेस और तीन पर अन्य प्रत्याशियों को जीत मिली है। 

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के अध्यक्ष आदेश गुप्ता और भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने बड़ा दावा करके सियासी गलियारे में भूचाल ला दिया। दोनों ने दावा किया कि भले ही चुनाव में आम आदमी पार्टी को बढ़त मिली है, लेकिन मेयर तो भाजपा का ही बनेगा।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ऐसा दावा क्यों कर रही है? क्या ये संभव हो सकता कि चुनाव जीतने के बाद भी आम आदमी पार्टी की बजाय भाजपा का मेयर बन जाए? अगर हां तो कैसे होगा? आइए जानते हैं… 

 

पहले जानिए भाजपा नेताओं ने क्या दावे किए? 

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने बड़ा दावा किया। मेयर के सवाल पर आदेश गुप्ता ने कहा, ‘राजनीति में कुछ भी हो सकता है। भाजपा का मेयर भी बन सकता है। जनता ने आम आदमी पार्टी को पूरा समर्थन नहीं दिया है। इसलिए इंतजार करिए। कुछ भी हो सकता है।’ 

उन्होंने आगे कहा,  ‘जनता ने सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया के भ्रष्टाचार का जवाब दे दिया है। दोनों का सूपड़ा साफ हो गया। लोग देख रहे हैं कि दिल्ली के संकट में हमेशा से भाजपा उनके साथ रही। इसलिए मेयर चुनाव तक हमें इंतजार करना चाहिए। जब मेयर का चुनाव होगा, तब बहुत सारी बातें हो सकती हैं। भाजपा का मेयर भी बन सकता है।’ 

 

भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने ट्विट कर दिल्ली में भाजपा के मेयर होने का दावा किया। उन्होंने लिखा, ‘दिल्ली में फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी का मेयर बनेगा।’

 

तो क्या वाकई में चुनाव हारने के बाद भाजपा का मेयर बन सकता है?

इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘अभी जो नतीजे हैं, वो काफी हद तक स्पष्ट हैं। आम आदमी पार्टी बहुमत के आंकड़े से आठ सीट ज्यादा है। वहीं, भाजपा को अपना मेयर बनाने के लिए 22 पार्षदों का साथ चाहिए होगा। अभी नौ कांग्रेस के पास हैं और तीन निर्दलीय हैं। ये मेयर के चुनाव में किसे वोट देंगे अभी स्पष्ट नहीं है।’

 

प्रमोद आगे कहते हैं, ‘नगर निगम में दल-बदल कानून लागू नहीं होता है। ऐसे में भाजपा की कोशिश होगी कि जो नेता नाराज होकर आम आदमी पार्टी में चले गए थे, उन्हें वापस लाया जाए। कई नेता इसके लिए तैयार भी हैं। इनके जरिए भाजपा बड़ा उलटफेर कर सकती है। इसके अलावा कुछ कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों को भी भाजपा अपने साथ ला सकती है। हालांकि, ये आगे वाले कुछ महीनों में हो सकता है।’

 



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