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सुभाशीष पंडा, प्रधान सचिव, स्वास्थ्य
– फोटो : अमर उजाला
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हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में भी अब पीटीएम (पेरेंटस टीचर मीटिंग) होंगी। स्कूलों की तर्ज पर मेडिकल कॉलेजों में भी एमबीबीएस छात्रों के अभिभावकों की कमेटी बनेगी। तीन महीने में एक बार इनकी मेडिकल कॉलेज के अध्यापन स्टाफ के साथ बैठक होगी। इसमें विशेषज्ञ चिकित्सा अभिभावकों को एमबीबीएस छात्रों की पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के बारे में जानकारी देंगे। सरकार के मानना है कि एमबीबीएस शिक्षक पढ़ाई के चलते तनाव में रहते हैं। यह अपने परिजनों से बातें छिपाते हैं। ऐसे में अध्यापन स्टाफ अभिभावकों के साथ विचार साझा करेंगे।
प्रदेश में छह मेडिकल कॉलेज हैं। इनमें इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा, नेरचौक, नाहन, चंबा और हमीरपुर मेडिकल कालेज शामिल हैं। आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कॉलेज में सौ से ज्यादा एमबीबीएस के छात्र पढ़ा कर रहे हैं, अन्य चार मेडिकल कॉलेजों में इनकी संख्या कम है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार की ओर से सभी मेडिकल कॉलेजों की बारी-बारी से रिव्यू बैठक हुई है। इसमें मेडिकल कॉलेजों में आधारभूत ढांचा विकसित करने के साथ एमबीबीएस छात्रों के बारे में भी चर्चा हुई। बैठक में सामने आया कि एमबीबीएस के छात्रों पर पढ़ाई का बोझ रहता है। यह छात्र अपने परिजनों से बातें साझा नहीं करते हैं। ऐसे में परिजन को छात्रों को हर गतिविधियों के बारे में अवगत कराया जाएगा। अगर अभिभावकों की ओर से शिकायत रहती है तो अध्यापन स्टाफ उस पर गौर कर सकेगा। प्रधान सचिव स्वास्थ्य सुभाशीष पंडा ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में अब पीटीएम होंगी। मेडिकल कॉलेजों में भी अभिभावकों की कमेटी बनाने का फैसला लिया गया है।
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