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मुरादाबाद का हिंदू कॉलेज
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
महाविद्यालयों में सेमेस्टर प्रणाली लागू हो गई है। वर्ष में दो बार परीक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है। एक सेमेस्टर में विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए न्यूनतम 90 दिन का समय होता है, लेकिन द्वितीय और चतुर्थ सेमेस्टर वाले विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए एक भी दिन का समय नहीं मिला है। प्राचार्यों का कहना है कि नए सत्र के संचालन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से परीक्षाओं के दिन सीमित रखने के लिए अनुरोध करेंगे।
महाविद्यालयों में इस वर्ष 21 फरवरी से एक मार्च तक सुधार परीक्षाओं का आयोजन किया गया था। दो मार्च से दो मई तक प्रथम और तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं हुईं। इसके बाद 20 मई से मुख्य परीक्षाएं शुरू हो गईं, जो 21 जुलाई तक हुईं। द्वितीय और चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों को पढ़ाई को 90 दिन का समय मिलना चाहिए था, लेकिन एक अगस्त से उनकी फिर परीक्षा शुरू हो गईं।
विद्यार्थियों का कहना है कि 21 जुलाई से एक अगस्त तक का समय प्रवेश पत्र डाउनलोड करने आदि में ही चला गया। प्राचार्यों का कहना है कि यह शिड्यूल वह है, जो विश्वविद्यालय की परीक्षाओं का है। इसके अलावा कॉलेजों में अन्य परीक्षाएं भी होती हैं। इसके अलावा यही शिक्षक अपने यहां परीक्षा कराने के अलावा दूसरे कॉलेजों में वाह्य परीक्षक के रूप में रहते हैं।
सेमेस्टर प्रणाली में माइनर, वोकेशनल, इंटरनल असिस्मेंट, प्रैक्टिकल आदि का काम भी यही शिक्षक कर रहे हैं। वहीं यदि विद्यार्थियों की बात करें तो एनसीसी, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में जुड़े विद्यार्थियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनका परीक्षाओं की वजह से वहां प्रतिभाग करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
परिणाम से पहले जारी हो गए परीक्षा फाॅर्म
चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र सौरभम कुमार पांडेय और छात्रा सादिया कौसर, द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा तनुश्री ने बताया कि दो मई को समाप्त हुईं विषम सेमेस्टर की उनकी परीक्षाओं का परिणाम विश्वविद्यालय ने 16 से 20 जून तक जारी किया था। इसी बीच 19 जून को विश्वविद्यालय ने द्वितीय और चतुर्थ सेमेस्टर के परीक्षा फाॅर्म जारी कर दिए। बीच में अन्य परीक्षाएं चल रहीं थीं। इसकी वजह से हमारी पढ़ाई नहीं हुई।
एक परीक्षा कराने के बाद कॉलेज को सामान्य रूप से संचालन के लिए कम से कम 15 दिन का समय लग जाता है, लेकिन अभी परीक्षा, प्रयोगात्मक परीक्षा, अंकतालिकाओं का वितरण और दाखिला में ही शिक्षकों का पूरा समय बीत रहा है। विश्वविद्यालय से अनुरोध किया जाएगा कि सत्र को इस तरह से बनाया जाए, कि विद्यार्थियों को पढ़ने का समय मिल सके।– प्रो. सत्यव्रत सिंह रावत, प्राचार्य, हिंदू कॉलेज
सेमेस्टर में पढ़ाई के लिए न्यूनतम 90 दिन का समय मिलना जरूरी है। अभी बच्चे जो कर रहे हैं, अपनी मेहनत से ही कर पा रहे हैं। पढ़ाई के लिए समय मिलना चाहिए। परीक्षाओं को शिड्यूल करने के लिए सभी प्राचार्य विश्वविद्यालय से इस दिशा में अनुरोध कर रहे हैं। – प्रो. सुनील चौधरी, प्राचार्य, केजीके कॉलेज
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