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Mukhtar Ansari
– फोटो : Amar Ujala/ Sonu Kumar
विस्तार
वह सन् 1990 के बाद का दौर था। पता चलता था कि मुख्तार अंसारी को जेल हो गई है। जिस जेल में मुख्तार अंसारी को बंद किया जाना है, वहां पर सरगर्मियां बढ़ने लगती थीं। मुख्तार के जेल जाने से पहले ही उसके जूते, मोजे, कपड़े जैसे तमाम जरूरी सामान और एक ब्रीफकेस पहले से ही जेल में पहुंच जाता था। यही नहीं उसके गुर्गे जो जमानत पर रिहा होते थे, वह अपनी जमानतें रद्द करवा कर मुख्तार के साए की तरह वापस जेल चले जाते थे। फिर जेल की बैरक में मुख्तार की महफिल सजती थी। जहां से जरायम की दुनिया का पूरा क्रैश कोर्स मुख्तार की सरपरस्ती में शुरू होता था। एक दौर में उत्तर प्रदेश के भीतर मुख्तार अंसारी की जब तूती बोली जाती थी, तो जेल के बड़े-बड़े अधिकारी भी अपना तबादला करवाने की अर्जियां शासन में लगा देते थे। जिन जेलों में मुख्तार की तूती बोलती थी, वहीं से निकला उसका मृत शरीर अब सुपुर्द-ए-खाक हो चुका हो चुका है।
तकरीबन ढाई दशक तक जलवा फरोशी के दौर में मुख्तार अंसारी के नाम से लोग कांपते थे। उत्तर प्रदेश में जब माफियाओं का अलग-अलग इलाकों में राज हुआ करता था, तो उस वक्त अपराध की रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनीष मिश्रा कहते हैं कि मुख्तार अंसारी का साम्राज्य बढ़ता जा रहा था। हालात ऐसे थे कि मुख्तार अंसारी को जब जेल जाना पड़ता था, तो उसके गुर्गे अपनी जमानत रद्द करवा लेते थे, ताकि मुख्तार अंसारी को जेल में कोई आंच न आए। मनीष मिश्रा कहते हैं कि जेल के भीतर मुख्तार अंसारी की सरकार चला करती थी। हैरानी होती यह जानकर कि मुख्तार अंसारी के लिए अलग-अलग बैरकों में एक तरीके से उसका पूरा घर तैयार कर दिया जाता था। जहां से धनउगाही से लेकर अपहरण, मर्डर और अन्य कई तरह के अपराध की दुनिया चलाई जाती थी।
एक बैरक में मुख्तार अंसारी खुद रहता था, तो दूसरी बैरक में उसके साजो सामान का पूरा बंदोबस्त होता था। ब्रांडेड कपड़ों से लेकर जूते, मोजे और एक ब्रीफकेस में कुछ अन्य ‘जरूरत का सामान’ जेल में मौजूद रहते थे। आलम यह था कि जेल में ही मुख्तार अंसारी के गुर्गों को ‘जेल काटने’ की ट्रेनिंग दी जाती थी। मनीष मिश्रा कहते हैं कि ‘जेल काटने’ की ट्रेनिंग का मतलब यह हुआ कि जेल में रहकर भी बाहर की दुनिया से पूरी तरह आपराधिक तौर पर न सिर्फ जुड़े रहना, बल्कि जेल के भीतर अपनी मनमर्जी से पूरी हुकूमत चलाना शामिल था। वरिष्ठ पत्रकार मनीष मिश्रा कहते हैं कि यह वही दौर था जब मुख्तार अंसारी ने जेल के भीतर रहकर अपराध की पूरी पाठशाला चलानी शुरू की थी। एक तरीके से ‘क्राइम का क्रैश कोर्स’ माफिया मुख्तार अंसारी ने जेल के भीतर ही शुरू किया था। उसके साथ बंद रहने वाले गुर्गे इस क्रैश कोर्स के माध्यम से न सिर्फ अपराध को अंजाम देते थे, बल्कि जेल आने-जाने में उनको बिल्कुल हिचक भी नहीं होती थी।
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