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इस दौरान घायलों के लिए आईटीबीपी और एसडीआरएफ के जवान देवदूत बनकर आए। आईटीबीपी अकादमी से 130 जवानों और अधिकारियों ने तत्काल घटना स्थल पहुंचकर बिना किसी देरी के रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया और पुलिस के साथ मिलकर घायलों को सड़क तक पहुंचाया।
आईटीबीपी अकादमी के निदेशक पीएस डंगवाल ने बताया कि अकादमी के उप सेनानी जीडी अंजुल खुगसाल, सहायक सेनानी/चिकित्सा अधिकारी डॉ. अधिरथ और गौरव सिलोपाल के नेतृत्व में 27 अधीनस्थ अधिकारी एवं अन्य कर्मी घटनास्थल के लिए पूरे साजो-सामान के साथ पहुंचे। उन्होंने करीब डेढ घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। डॉ. अधिरथ ने घायलों का मौके पर ही प्राथमिक उपचार किया।
यात्रियों का शोर सुनकर राहगीरों ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया। हालांकि, पुलिस से पहले ही आईटीबीपी के जवान रेस्क्यू का सामान लेकर पहुंच गए। इसके बाद एसडीआरएफ, फायर सर्विस और पुलिस के जवानों ने मोर्चा संभाला। संयुक्त बचाव दल ने एक-एक कर खाई से 39 घायलों को बाहर निकाला।
गंभीर घायल पांच महिलाओं और तीन पुरुषों को दून में मैक्स अस्पताल पहुंचाया गया। इनमें से मां-बेटी को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। 31 घायलों को मसूरी के सिविल अस्पताल भेजा गया था। ज्यादा इलाज की जरूरत वाले घायलों को दून अस्पताल रेफर कर दिया गया। अभी 25 घायल दून अस्पताल और सात मसूरी के सिविल अस्पताल में भर्ती हैं।
एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि चालक के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने के आरोप में मसूरी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। चालक का नाम रॉबिन है। उसकी तलाश की जा रही है। वह नशे में था या नहीं इस बात की पुष्टि के लिए बस में सवार लोगों से भी पूछताछ की जा रही है। गिरफ्तारी के बाद उसका मेडिकल कराया जाएगा।
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