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रविवार को दोपहर बाद जहां हादसा हुआ, वहां से कुछ ही दूर पर कानून बनाने वाले माननीय बैठते हैं।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
“सदन का समय आम जनता की समस्याओं के निदान के लिए होता है।”- बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने मंगलवार को सदन में यह कहा, इसलिए ‘अमर उजाला’ कुछ सवाल उसी तरह ला रहा है, जैसे विधायकों को लाना है। यह सवाल भी इसलिए यहां लाए जा रहे, क्योंकि रविवार को बिहार विधानसभा से कुछ ही मिनट की दूरी पर पटना शहर के बीचोंबीच एक महिला की जान ले ली गई और तीन दिनों के अंदर किसी ने इसपर सवाल नहीं किया। पटना के किसी भाजपा विधायक ने भी इसकी जरूरत नहीं समझी। महिला की पहचान खबर के अंत में है, पहले एक आम आदमी पर मंडराते संकट के नजरिए से इस खबर को पूरा पढ़ें।
जनता को इन तारांकित प्रश्नों का जवाब चाहिए
सवाल- * क्या बिहार में शराबबंदी है? * क्या विधानसभा के पास शराब पीकर गाड़ी चलाना छोटा जुर्म है? * क्या विधानसभा के पास कॉमर्शियल मालवाहक वाहन चलाने वालों को फर्जी लाइसेंस लेकर गाड़ी चलाने दिया जाना चाहिए? * क्या विधानसभा के पास के फ्लाईओवर पर सीसीटीवी की जरूरत नहीं है? * क्या फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस लेकर नशे में तीन वाहनों को ठोकते हुए एक महिला की जान लेने की घटना आम जनता की समस्याओं के निदान से संबंधित मुद्दा नहीं है? * क्या 112 नंबर पर कॉल के बावजूद महिला को एम्बुलेंस नहीं मिलना अपराध नहीं है? * क्या टेम्पो पर लादकर आम नागरिक की मदद से सरकारी अस्पताल पहुंचाई गई महिला के इलाज से पहले पर्ची कटवाने की जिद करना डॉक्टर के लिए अपराध नहीं है? * क्या ट्रॉमा के केस में इस देरी के लिए सरकार को दोषी नहीं माना जाना चाहिए?
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