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शांति देवी और शिवन पासवान।
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल
विस्तार
बिहार की रहने वाली शांति देवी और शिवन पासवान को गोदना कला के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। दोनों मधुबनी कला के कलाकार हैं। उनका कहना है कि वह बचपन से ही वह यह कलाकारी करते आ रहे हैं और अब उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है, जिसको लेकर दोनों काफी खुश हैं।
मां से मिली विरासत के रूप में मधुबनी कला पेंटिंग
शांति देवी का कहना है कि मधुबनी पेंटिंग हमारे देश की प्राचीनतम कला है। उन्होंने कहा कि यह कला काफी कठिन है। यह कला उन्हें उनकी मां से विरासत में मिली थी जिसे इन्होने यहां तक पहुंचाया और इसी का नतीजा है कि इन्हें आज पद्म श्री सम्मान मिला है। उन्होंने कहा कि उनकी मां ने उन्हें बचपन से इस कला की ट्रेनिंग दी है। शांति देवी ने बताया कि उनकी मां मधुबनी पेंटिंग बनाकर अपने घर की दीवारों पर सजाती थी। उन्होंने कहा कि इस काम में मेरे दादा जी ने भी उन्हें बहुत सहायता पहुंचाई। घर में उनका पूरा सपोर्ट होता था।
कभी ख़ुशी कभी गम
बातचीत के दौरान शांति देवी ने अमर उजाला को बताया कि हमारी जिंदगी काफी गरीबी में बीती है। आज हम दोनों पति पत्नी को यह पुरस्कार मिला है इससे हमलोग बहुत खुश हैं। शांति देवी ने बताया कि जब वह चार महीने की थी तभी उनके पिता जी गुजर गये, फिर उनकी मां और बड़े भाई ने पाल-पोस कर बड़ा किया। मां मजदूरी करती थी, खेती करती थी। हमारे समाज में लड़कियों को पढ़ने की इजाजत नहीं थी। लेकिन जब मैं 8 -9 साल की हुई तब किसी तरह पढाई शुरू की और फिर 9वीं तक पढ़ाई पूरी की लेकिन दसवीं पूरा नहीं कर सकी। मेरी मां ने किसी तरह मेरे भाई को पढाया।
पति और पत्नी इस तरह मधुबनी कला पेंटिंग में हुए पारंगत
शांति देवी ने बताया कि 1976 में मेरी शादी हो गई। चूंकि हमारे घर में काफी गरीबी थी इसलिए एक गरीब घर में ही मेरी शादी भी हुई लेकिन मैंने इसे नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ी। मैं और मेरे पति दोनों मिलकर गरीबी से लड़ने के लिए कमर कस लिया। ससुराल में देवरों और ननदों से भरे घर में मैं घर सँभालने लगी। लेकिन कहते हैं कि चाह रखने वालों के लिए भगवान हर जगह रास्ते बना देते हैं। उस घर में जाने के बाद मेरे भी रास्ते बन गये थे। हमारी जेठानी के भाई रौदी पासवान एक व्यवसायी थे। उन्हें मधुबनी पेंटिंग का ज्ञान था। फिर मैंने उनसे अनुरोध किया कि आप मेरे दो काम कर दीजिये – पहला, मेरी पेंटिंग बिक जाए इसकी आप व्यवस्था कर दो और दूसरी यह कि मेरे पति जो दूकान में काम करते हैं, उनको भी इस कला का ज्ञान मिल जाय ऐसी व्यवस्था कर दो। फिर क्या था मेरी जेठानी चानो देवी जिन्हें इस क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चूका है, उन्होंने उन्हें ज्ञान देना शुरू किया। फिर रौदी भैया मेरे पति शिवन पासवान को लेकर उपेन्द्र महारथी के पास ले गये। और फिर धीरे धीरे हम दोनों पति पत्नी इस कला में डूबते चले गये। इसी का नतीजा है कि आज हम दोनों को यह पुरस्कार मिला है।
मुख्यमंत्री ने दी बधाई
मुख्यमंत्री नीतीश कुमारने बिहार के स्वर्गीय बिंदेश्वर पाठक को मरणोपरांत सामाजिक कार्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म विभूषण मिलने की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने बिहार के ही डॉक्टर चंदेश्वर प्रसाद ठाकुर को मेडिसिन के क्षेत्र में पद्म भूषण, शांति देवी पासवान एवं शिवन पासवान (पति-पत्नी), अशोक कुमार विश्वास, राम कुमार मल्लिक को कला के क्षेत्र में तथा सुरेंद्र किशोर को भाषा, शिक्षा तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान मिलने की घोषणा पर बधाई और शुभकामनाएं दी है।
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