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अशोक कुमार बिस्वास।
– फोटो : अमर उजाला
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बिहार के फेमस कलाकार अशोक कुमार बिश्वास को पद्मश्री पुरस्कार मिला है। अशोक कुमार बिश्वास ने लगभग मौर्य कालीन इस पुरानी बिहार की टिकुली कला को पुनर्जीवित किया और भारत की नहीं बल्कि विश्व में पहचान दिलाई। आज इन्होंने करीब 8000 महिलाओं को ट्रेनिंग दी। इनके नौ स्टूडेंट ऐसे हुए जो की राज्य स्तर पर पुरस्कार पा चुके हैं। अमर उजाला से बातचीत के दौरान अशोक कुमार बिश्वास ने कहा कि पद्मश्री पुरस्कार देने के लिए केंद्र सरकार को बहुत-बहुत बधाई उन्होंने बिहार की नीतीश सरकार का भी आभार जताया। वहीं बिहार सरकार की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अशोक कुमार बिश्वास को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने की घोषणा पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। कहा कि अशोक कुमार बिश्वास को कला के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान मिलना बिहार के लिए गौरव की बात है।
परिवार का भी काफी सपोर्ट मिला
अशोक कुमार बिस्वास ने कहा कि लंबे संघर्ष और मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल हुआ। पत्नी शिवानी और परिवार वालों का काफी सपोर्ट मिला। पैसों की तंगी के कारण आर्थिक हालत भी काफी खराब हो चुकी थी। भारत सरकार मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल की ओर से टिकुली कला को बढ़ावा देने की अपील की। 1993 से दीघा से दानापुर तक से गांव गांव घूम कर टिकुली कला की ट्रेनिंग दी। अशोक कुमार बिश्वास ने कहा कि आठ हजार महिलाओं को अब तक ट्रेनिंग दे चुका हूं । पटना से करीब 12 किलोमीटर दूर नासरीगंज गांव में उनका छोटा सा कमरा ही उनका प्रशिक्षण केंद्र है। यहीं पर राज्य भर की महिलाएं बिश्वास से टिकुली कला की तकनीक सीखती हैं और फिर इसका इस्तेमाल अपनी आजीविका कमाने के लिए करती हैं।
यह कला विलुप्त होने के कगार पर थी
अशोक कुमार बिश्वास ने बताया कुछ सालों पहले तक टिकुली कला लगभग लुप्त होने की दहलीज पर खड़ी थी। लेकिन अब राज्य में इसे पुनर्जीवित किया जा रहा है। दरअसल, टिकुली कला मधुबनी कला, पटना कलम कला और लकड़ी पर तामचीनी पेंट का इस्तेमाल करने की कला तकनीक परंपराओं का मिला-जुला रूप है।
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