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गंगा विलास क्रूज की रवानगी की पूर्व संध्या पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में शंकर महादेव ने कर्तव्य गंगा के जरिए सभी को गंगा के प्रति जिम्मेदारियों का अहसास दिलाया। शंकर महादेवन ने शिवपुत्र प्रथमेश की आराधना से सुर सरिता सिंफनी ऑफ गंगा का श्रीगणेश किया। इसके बाद एकदंताय वक्रतुंडाय धीमहि…की संगीतमय धुन पर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद राजराजेश्वर के दरबार में शिव तांडव के स्वरों से धाम का कोना-कोना तरंगित हो उठा।
शंकर महादेवन ने गंगा आई कहां से, ओ गंगा जाए कहां रे, लहराए पानी में जैसे धूप छांव रे…की प्रस्तुति दी। इसके बाद उनके साथ आए कलाकार सौरव ने गंगा आई कहां से को बंगाली में गुनगुनाया तो हर किसी के कानों में बांग्ला की मिठास घुल गई।
शंकर महादेवन ने होठों पर सच्चाई रहती है जहां दिल में सफाई रहती है….को स्वर दिया। इसके बाद गंगा के ऊपर लिखा गीत स्वच्छ गंगा नमामि गंगे, कर्तव्य गंगा सुनाया। समापन उन्होंने सुनो गौर से दुनिया वालों, बुरी नजर ना हमपे डालो, चाहे जितना जोर लगा लो, सबसे आगे होंगे हिंदुस्तानी…की धुन छेड़ी तो दर्शक भी खुद को रोक नहीं सके और गीत के साथ कदम से कदम मिलाकर थिरक उठे।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी तालियां बजाकर उत्साहवर्धन किया। सुर तरंगिनियों का आनंद लेने के साथ-साथ, मां गंगा के महत्व तथा उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों से भी गंगा विलास के पर्यटक परिचित हुए।
श्री काशी विश्वनाथ धाम में सजी सुर संध्या ने हर किसी को अहसास कराएगा की मां गंगा कैसे हर भारतीय तथा संपूर्ण मानवता के लिए है एक देवी के रूप में पूजनीय है। गंगा नदी से जुड़ी पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों को भी वीडियो के जरिए प्रदर्शित किया गया।
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