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कण-कण शंकर की नगरी काशी ने महाशिवरात्रि पर अपने आराध्य का आशीष लिया। जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक के साथ ही बाबा विश्वनाथ के मंदिर में हाजिरी लगाकर शिवकृपा की कामना की। मंदिर से लेकर चार किलोमीटर से अधिक लंबी कतार मध्यरात्रि से ही लगी थी। भीड़ का रेला ऐसा था कि कई बार सुरक्षाकर्मियों और सेवादारों को संभालने में मशक्कत करनी पड़ी है।
           
        
 
शनिवार को मंगला आरती के बाद 3:30 बजे से काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ का झांकी दर्शन पूजन आरंभ किया। मध्यरात्रि से ही शिवभक्त बैरिके डिंग में कतारबद्ध हो गए और जैसे ही दर्शन पूजन के लिए पट खुला हर-हर महादेव का जयकारा गूंज उठा। मंदिर प्रशासन की ओर से धाम के चौक में श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। गोदौलिया से मैदागिन तक जगह-जगह श्रद्धालु कतारबद्ध होकर अपनी-अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। गंगा द्वार पर श्रद्धालुओं की सबसे अधिक लंबी कतार थी। मंदिर चौक से लेकर ललिता घाट से आगे तक श्रद्धालु कतारबद्ध थे।
       
 
एलईडी स्क्रीन पर दर्शन-पूजन का सजीव प्रसारण
मंदिर प्रशासन की ओर से सजीव दर्शन-पूजन का इंतजाम किया गया। इसके लिए मंदिर चौक और प्रवेश द्वार पर एलईडी स्क्रीन पर गर्भगृह में दर्शन-पूजन का सजीव प्रसारण किया गया। इससे श्रद्धालु निहाल दिखे। सब एलईडी स्क्रीन की तरफ देखकर ही भगवान भोले शंकर का मंत्र जपते रहे।
       
 
तड़के 3:30 बजे खुले मंदिर के कपाट
काशी विश्वनाथ मंदिर में शनिवार को तड़के 2:15 बजे मंगला आरती की शुरुआत हुई, जो कि 3:15 बजे तक चली। इसके बाद 3:30 बजे मंदिर के कपाट खोले गए। मध्याह्न भोग आरती दोपहर 12 बजे शुरू हुई और 12:30 बजे तक चलती रही। श्रद्धालु इस दौरान भी झांकी दर्शन करते रहे। प्रथम प्रहर की आरती के लिए रात्रि 10:50 पर शंख ध्वनि के साथ गर्भ गृह में पुजारियों ने प्रवेश किया।
       
 
रात्रि 11 बजे से आरती शुरू हुई और रात्रि 12:30 पर खत्म हुई। द्वितीय प्रहर की आरती रात्रि 1:30 पर शुरू हुई और 2:30 पर पूर्ण हुई। तृतीय प्रहर की आरती रविवार को तड़के 3 बजे से शुरू होकर 4:25 पर पूर्ण हुई। चतुर्थ प्रहर की आरती सुबह 5 बजे से शुरू होकर सुबह 6:15 पर खत्म हुई।
       
 
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