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मृतक की पत्नी सुनीता ने बताया कि गोकुल रोजाना की तरह रविवार की सुबह आठ बजे गांव से करीब सात किलोमीटर दूर उत्तराखंड के बनगवा क्षेत्र में काम पर गए थे। गोकुल पैदल ही काम पर जाते थे। देर शाम काम करने के बाद वह पैदल ही घर लौट रहे थे। ग्रामीणों के मुताबिक, गांव के नजदीक भानु प्रताप सिंह के फार्म हाउस के निकट खेतों से निकले बाघ ने गोकुल पर हमला कर दिया। गन्ने के खेत में उसे खींच ले गया।
देर रात तक घर न पहुंचने पर परिजन ने गोकुल की तलाश शुरू की। मोबाइल से संपर्क न होने पर आसपास तलाश किया। सोमवार की सुबह खेतों की ओर पहुंचे किसानों ने गन्ने के खेत के किनारे खून और अंगोछा पड़ा देखा। कुछ ही दूरी पर गोकुल का अधखाया शव बरामद हो गया।
शव क्षत-विक्षत हालत में था, जिसे देखकर ग्रामीणों के रोंगेट खड़े हो गए। सूचना पर मृतक के परिवार वाले भी आ गए। मौके पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। ग्रामीण बाघ को पकड़ने की मांग करने लगे। उनका कहना था कि बाघ आसपास ही होगा। फिर किसी दूसरे ग्रामीण पर हमला कर सकता है।
बाघ के न पकड़े जाने तक ग्रामीणों ने शव को उठाने से इनकार कर दिया। इसके बाद पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल और डीएफओ संजीव कुमार ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को पिंजड़ा लगाने का आश्वासन दिया। तब जाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि बाघ को पकड़ने के लिए पिंजड़ा लगवाया जाएगा। बाघ की निगरानी के लिए टीमें लगा दी गईं हैं। मृतक के परिजनों को नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा।
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