[ad_1]

गया में पिंडदान करने से पूर्वज की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि गया में भगवान विष्णु पितृदेव के रूप में निवास करते हैं.

गयाजी में श्राद्ध कर्म और तर्पण विधि करने का विशेष महत्व है. गयाजी में फल्गु नदी के तट पर भगवान राम और सीता ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था.

गया में बालू से पिंडदान करने का महत्व वाल्मीकि रामायण में एक वर्णन मिलता है. पितृ पक्ष के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण पिंडदान करने के लिए गया धाम पहुंचे थे. पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण जरूर करना चाहिए.

गयाजी में माता सीता ने फल्गु नदी, वटवृक्ष, केतकी के फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाकर फल्गु नदी के किनारे पिंडदान कर दिया. पिंडदान से राजा दशरथ की आत्मा को मोक्ष मिल गई.

Shradh Vidhi: श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को दान दिया जाता है. इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए.

Shradh Vidhi: श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए. योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें. इसके बाद अपने पितरों का स्मरण करते हुए गाय, कुत्ते, कौवे आदि को भोजन जरूर कराए.
[ad_2]
Source link